
रचनाएं
वैशाख महीना पावन-पावन
पुलकित हैं हम सबके आनन, खुशियों का शुभ दिन है आया।
नेमा झूमर नन्दन प्यारा, प्रभु महाश्रमण सबको भाया।।
मुस्कानों का बहता झरना, आखों से प्रसृत है करूणा।
वत्सलता के महासागर से, यह संघ तरुवर विकसाया।।
हे शांतिदूत ! तव कृपा दृष्टि पाने को लालायित दुनिया।
आधि व्याधि सब मिट जाए जब गुरु का है सिर पर साया।।
गुरु तुलसी सा व्यक्तित्व तेरा, देवकंवर सा स्वरूप तेरा।
कोमलता महाप्रज्ञ की सी, कंचन सी कोमल है काया।।
सम, शम, श्रम की सूरत मनहारी, बढ़ी त्रिभुवन में महिमा भारी।
खुद पर खुद का अनुशासन है, जन-जन ने गौरव है गाया।।
अद्भुत तेरी प्रवचन शैली, आगम सूत्रों की सौरभ फैली।
जय ज्योतिचरण - जय महाश्रमण, यह घोष आज हर मुख छाया।।
जन्मोत्सव, दीक्षा का उत्सव, पट्टोत्सव का शुभ दिन आया।
वैशाख महीना पावन-पावन, गण में अनहद खुशियां लाया।।
लय - दुनिया में संघ