प्रेक्षा ध्यान, जीवन-विज्ञान और साहित्य के महान आचार्य के 16वें महाप्रयाण दिवस पर विविध कार्यक्रम

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सांडवा

प्रेक्षा ध्यान, जीवन-विज्ञान और साहित्य के महान आचार्य के 16वें महाप्रयाण दिवस पर विविध कार्यक्रम

साध्वी संघप्रभा जी के सान्निध्य में आचार्य महाप्रज्ञ जी के 16वें महाप्रयाण दिवस का भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का मंगलाचरण साध्वी प्रांशुप्रभा जी ने महाप्रज्ञ अष्टकम के सुमधुर पाठ से किया। साध्वी संघप्रभा जी ने अपने उद्बोधन में कहा, 'आचार्य महाप्रज्ञ केवल राष्ट्रसंत नहीं, वरन् विश्वसंत थे। उन्होंने संतत्व के मूल्यों, मानकों, आदर्शों और सिद्धांतों को जीवन की प्रयोगशाला में उतारकर अध्यात्म और धर्म को व्यावहारिक स्वरूप प्रदान किया। उनके द्वारा आविष्कृत प्रेक्षाध्यान पद्धति एक ऐसी सुगम प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से विश्वजन अशांति से शांति, भ्रांति से क्रांति, वासना से उपासना और नर से नारायण की ओर अग्रसर हो सकते हैं।' इसी क्रम में साध्वी सोमश्री जी ने अपने संयम प्रदाता को भावांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ करुणा के साकार रूप थे। उन्होंने 'जय महाप्रज्ञ गुरु मेरे' सुमधुर गीतिका प्रस्तुत करते हुए उनके दिव्य व्यक्तित्व और कर्मशील कर्तृत्व को उजागर किया।
बजरंग भंसाली ने अपने भावपूर्ण वक्तव्य द्वारा आचार्य श्री के प्रति श्रद्धा व्यक्त की। संतोष देवी भंसाली ने गीत के माध्यम से वातावरण को महाप्रज्ञमय बना दिया। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी प्रांशुप्रभा जी द्वारा किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रावक-श्राविकाओं की सराहनीय उपस्थिति रही।कार्यक्रम की रात्रिकालीन कड़ी में 'एक शाम महाप्रज्ञ के नाम' भजन संध्या का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला।