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वृहद् भक्तामर प्रकल्प अनुष्ठान भव्य आयोजन
मुनि जिनेशकुमारजी के सान्निध्य में वृहत्तर कोलकाता में भक्तामर प्रकल्प अनुष्ठान के 100 वें सप्ताह में प्रवेश करने पर वृहद् भक्तामर प्रकल्प अनुष्ठान एवं समारोह का भव्य आयोजन उत्तर हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा तेरापंथ सभागार में आयोजित किया गया। वृहत्तर कोलकाता के विभिन्न सभा क्षेत्रों से अच्छी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। समारोह से पूर्व चरण में मुनिश्री द्वारा भक्तामर प्रकल्प अनुष्ठान करवाया गया। अनुष्ठान के पश्चात आयोजित समारोह में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा – “भक्तामर स्तोत्र आचार्य मानतुंग की अनमोल कृति है।
इसकी रचना सातवीं शताब्दी में हुई। यह एक चमत्कारिक भक्ति काव्य स्तोत्र है। इसमें भगवान ऋषभ की स्तुति की गई है। हजारों-हजारों जैन अनुयायी प्रतिदिन इसका पाठ करते हैं। इसमें मंत्राक्षरों की संयोजना की गई है। इसके जाप से रोग, शोक, दुःख, पीड़ा, विघ्न दूर हो जाते हैं। उत्तरवर्ती आचार्यों ने भक्तामर स्तोत्र पर कई कल्प तैयार किये हैं। भक्तामर का पाठ एवं जाप करने से अनेक भौतिक एवं आध्यामिक लाभ होते हैं। इस अवसर पर मुनि परमानंद जी ने कहा- भक्तामर पाठ से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है। कार्यक्रम का शुभारंभ बाल मुनि कुणाल कुमार जी के मंगलाचरण से हुआ। स्वागत भाषण सभा के सहमंत्री डॉ. अरिहंत सिंघी ने दिया। भक्तामर प्रकल्प अनुष्ठान ग्रुप उत्तर हावड़ा ने सुमधुर गीत का संगान किया। आभार ज्ञापन संयोजक विकास श्यामसुखा ने किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद जी ने किया।