अध्यात्म का प्रथम सोपान है - प्रेक्षाध्यान

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हिमायतनगर, हैदराबाद।

अध्यात्म का प्रथम सोपान है - प्रेक्षाध्यान

साध्वी डॉ. गवेषणाश्री जी के सान्निध्य में आचार्य श्री महाश्रमणजी के जीवन के तीन महत्वपूर्ण अवसरों जन्मोत्सव, दीक्षा महोत्सव एवं पट्टोत्सव से प्रेरित होकर प्रेक्षा फाउंडेशन द्वारा निर्देशित प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का आयोजन किया गया। साध्वी डॉ. गवेषणाश्री जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज दुनिया सौंदर्य, सत्ता और संपत्ति के पीछे भाग रही है और तनावों से जूझ रही है। उसका एकमात्र समाधान है -प्रेक्षाध्यान। आज व्यक्ति के पास अपने लिए समय ही नहीं है। प्रेक्षाध्यान स्वयं के द्वारा स्वयं की पहचान और शांति का आधार है। अतः हर मनुष्य को अपने जीवन में प्रेक्षाध्यान जरूर अपनाना चाहिए। साध्वी मेरुप्रभा जी ने सुमधुर गीतिका का संगान किया। साध्वी मयंकप्रभा जी ने श्रावक-श्राविकाओं को प्रेक्षाध्यान का प्रयोग करवाया। इस कार्यशाला में प्रेक्षाध्यान प्रशिक्षक रीता सुराणा और साउथ जोन की को-ऑर्डिनेटर प्रशिक्षक डिंपल बैद एवं साधकों के साथ कुल 50 व्यक्तियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संयोजन प्रेक्षावाहिनी संवाहक प्रेम संचेती एवं आभार ज्ञापन सह-संवाहक अंजू गोलछा ने किया।