
रचनाएं
गण सुषमा महकायी
धन्य धन्य साध्वी कीर्तियशाजी, हद हिम्मत दिखलायी।
गण सुषमा महकायी।।
बड़भागी सौभागी आपां, भैक्षवशासन पायो।
महातपस्वी महाश्रमण गुरुवर रो सुखमय सायो।
साध्वी प्रमुखा विश्रुतविभाजी, भाग्यलता विकसायी।।
सहज सरल मृदुभावी कर्मठ सहनशीलता भारी।
ध्यान जाप स्वाध्याय शक्ति से खिली संयम फुलवारी।
बढ़ता-चढ़ता परिणामां में अनशन कर हरषायी।।
उग्रविहारी तपोमूर्ति ने अनशन है पचखाया।
साध्वी विशदप्रज्ञाजी लब्धियशाजी सहयोग दिराया।
साध्वी मल्लिकाजी तन कपडा बन बनी परछायी।।
'शासनश्री' करे कामना जीवन सार निकाल्यो।
जन्मभूमि गंगाशहर में अनशन बिगुल बजायो।
क्षमायाचना करा म्हें सारा पाओ पद वरदायी।।
लय- संयममय जीवन हो