
गुरुवाणी/ केन्द्र
धनशूर से धर्मशूर बने इंसान : आचार्यश्री महाश्रमण
मोक्ष मार्ग के पथदर्शक आचार्यश्री महाश्रमणजी धनसुरा के आर्ट एण्ड कॉमर्स कॉलेज परिसर में पधारे। अर्हतवाणी का रसास्वादन कराते हुए पूज्यवर ने फरमाया कि व्यक्ति अपने जीवन में धन के लिए कितना समय लगाता है और धर्म के लिए कितना समय लगाता है। दो चीजें हैं - धन और धर्म। पुरुषार्थ चतुष्टयी बताई गई है - अर्थ, काम, धर्म और मोक्ष। जीवन में धन की अपेक्षा होती है तो धर्म की भी आवश्यकता होती है। धन और धर्म, इन दोनों पर गृहस्थ ध्यान दें कि मेरा 'धन ध्यान' कितना है और 'धर्म ध्यान' कितना है। आज धनसुरा गांव में आए हैं। 'धन' और 'सुरा'। सुरा एक शराब भी है। मद्यपान एक व्यसन है। सात व्यसन बताए गए हैं। सुरा का अर्थ देव भी होता है। धनसुरा यानी धन की देवी। सुरा का तीसरा अर्थ शूरवीर भी होता है। धन में जो शूर है, वह धर्म में भी शूर हो।
लक्ष्मी का अर्थ आभा भी होता है। हमारे भीतर की आभा अच्छी और पुष्ट रहे। धन के साथ धर्म भी चाहिए। जहां सत्यपुरुष होता है, वहां से लक्ष्मी नहीं जा सकती। सत्य के प्रति आस्था रहे। धन लक्ष्मी का प्रतीक है तो धर्म का प्रतीक सत्य को मान लें। मोक्ष के लिए भी पुरुषार्थ होना चाहिए। हम सभी धर्म में शूरवीर बनें कि हमारे जीवन में अध्यात्म की धारा बहे। अणुव्रत के छोटे-छोटे नियमों में गृहस्थों का कल्याण हो सकता है। विद्या संस्थानों को विद्यार्थियों के व्यक्तित्व निर्माण का अवसर मिलता है। विभिन्न विषयों के साथ अच्छे संस्कार विद्यालयों को दिए जाएं। पढ़ाई केवल धन के लिए नहीं, धर्म के लिए भी हो। प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान से हर तरह का विकास हो सकता है। आज का बच्चा ही कल देश का अच्छा नागरिक बन सकता है। अहिंसा, ईमानदारी, संयम और तप का धर्म जिसके जीवन में होगा, उसका कल्याण होगा, फिर चाहे वह जैन हो या अजैन। हम लोग जैन धर्म से जुड़े हुए हैं। व्यक्ति साधना से धर्म-शूर भी बन सकता है। हमारे भीतर धर्म-शूरता विकसित हो। 'धन सुरा' से 'धर्म सुरा' बने।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि परहित के समान कोई बड़ा धर्म नहीं है। परम पूज्य गुरुदेव परहित और जनकल्याण कर रहे हैं। छोटे-छोटे गांवों को संभालने का श्रम करवा रहे हैं। श्रम से धर्मसंघ की प्रभावना हो रही है। समय का अच्छा उपयोग कर लोगों का उपकार करवा रहे हैं। लोग प्रेरणा-पाथेय ग्रहण कर अनुभव करते हैं कि मानो घर में भगवान आ गए हैं। पूज्यवर के स्वागत में स्थानीय महिला मंडल ने स्वागत गीत का संगान किया। आर्ट एण्ड कॉमर्स कॉलेज के ट्रस्टी तथा गुजरात भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष अतुल ब्रह्मभट, ध्रुव ढेलड़िया, तिसा व खुशी ढेलड़िया ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। कॉलेज के सेक्रेट्री अनिलभाई पटेल ने भी अपनी भावना अभिव्यक्त की। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।