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गणाधिपति आचार्य श्री तुलसी के महाप्रयाण दिवस पर विविध आयोजन
साध्वी अणिमाश्रीजी, खतरगच्छ संघ की डॉ. साध्वी विद्युतप्रभाजी, 'शासनश्री' साध्वी जिनरेखाजी की सहवर्तिनी साध्वी मधुरयशाजी एवं साध्वी वृन्द के सान्निध्य में गुरुदेव श्री तुलसी का महाप्रयाण दिवस श्रद्धालु तुलसी भक्तों की उपस्थिति में गरिमामय रूप से आयोजित हुआ। साध्वी अणिमाश्रीजी ने श्रद्धासिक्त भावों के साथ कहा कि आचार्य श्री तुलसी समत्वयोग के महान साधक थे। उन्हें मान-सम्मान भी बहुत मिला और विरोधों का सामना भी करना पड़ा, परंतु उन्होंने दोनों ही स्थितियों में संतुलन बनाए रखा। विरोधों की थपेड़ों ने उन्हें कभी खिन्न नहीं किया और मान-सम्मान की ऊँचाइयों ने उन्हें अति उत्साहित नहीं किया। समत्वयोग का साधक ही दोनों परिस्थितियों में संतुलित रह सकता है। आचार्य तुलसी विकास पुरुष थे, उन्होंने संघ के प्रत्येक सदस्य को विकासोन्मुखी बनाया। आज तेरापंथ धर्मसंघ ने अध्यात्म के क्षितिज पर जो विशिष्ट पहचान बनाई है, उसके मूल में आचार्य तुलसी का तप, श्रम और पुरुषार्थ है। आचार्य श्री तुलसी का स्वप्न हमारा संकल्प बने और उनके अवदानों की सौरभ दिशाओं में प्रसारित हो—यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। डॉ. साध्वी विद्युतप्रभाजी ने कहा कि कोई भी महापुरुष जन्म से महान नहीं होता, वह अपने चरित्र और कर्तृत्व से अमिट हस्ताक्षर छोड़ता है। आचार्य तुलसी के रोम-रोम में परकल्याण की भावना समाहित थी। उन्होंने अपनी साधना से सबको शक्तिशाली और ऊर्जावान बना दिया। वही जीवन सार्थक होता है जो अभिशाप नहीं, वरदान बनकर जिया जाए। आचार्य तुलसी जैन समाज के लिए एक अनुपम वरदान थे। उन्होंने आत्मानुशासन और आत्मसंयम के माध्यम से तीसरी आँख खोलने का प्रयास किया। उनका आंतरिक सौंदर्य उन्हें कालजयी बना गया।
साध्वी मधुरयशाजी ने कहा कि आचार्य तुलसी श्रम के महासुमेरु थे। उनके जीवन का हर पन्ना पुरुषार्थ की स्याही से लिखा हुआ था। डॉ. साध्वी सुधप्रभाजी ने कहा कि आचार्य तुलसी विरल कोटि के सिद्धपुरुष थे। वे वज्रसंकल्पी और साधनाशील आचार्य थे। चिंतन, निर्णय और क्रियान्वयन उनके सफलता के मूलमंत्र थे। साध्वी समतयशाजी ने सुमधुर गीत का संगान किया। बालोतरा महिला मंडल एवं कन्यामंडल ने "तुलसी आइडल लीडरशिप" की प्रस्तुति दी। मुमुक्षु सैफाली ने गीत का संगान किया। सभा के उपाध्यक्ष धनराज ओस्तवाल एवं तेयुप अध्यक्ष संदीप जैन ने अपने भाव व्यक्त किए। महिला मंडल ने "तुलसी अष्टकम्" के मंगल संगान के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। मंडल की मंत्री रेखा बालड़ ने विचार व्यक्त किये। सभा मंत्री प्रकाश वैद मुथा ने आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की। साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने मंच संचालन कुशलतापूर्वक किया।