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ज्ञानशाला सेमिनार का हुआ आयोजन
डॉ. मुनि पुलकितकुमारजी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन, यशवंतपुर में विशेष ज्ञानशाला सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुनिश्री ने कहा, “जीवन को उच्च आदर्शों से युक्त बनाना मनुष्य का प्रथम कर्तव्य है। मनुष्य जीवन अनंत शक्तियों का स्वामी है; उसका सामर्थ्य अप्रतिहत होता है। विशेषतः बाल्यावस्था में कोई भी लक्ष्य असाध्य नहीं होता। यह अवस्था आध्यात्मिकता के अंकुरण का सर्वाधिक उपयुक्त समय है।” उन्होंने आगे कहा कि बच्चों में विनय का गुण अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि विनम्रता ही जीवन में प्रगति का आधार बनती है। मुनिश्री ने उपस्थित बच्चों को “मुझे विनम्र बनना है, मुझे विद्वान बनना है, मुझे महान बनना है” का संकल्प करवाया।
मुनिश्री ने ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं द्वारा निस्वार्थ भाव से बच्चों को ज्ञान एवं आध्यात्मिक संस्कार प्रदान करने के प्रयासों की अनुमोदना करते हुए उनका उत्साहवर्धन किया। मुनि आदित्यकुमारजी ने बच्चों को ध्यान प्रयोग की विधियाँ सिखाईं। कार्यक्रम में तेरापंथ सभा यशवंतपुर के अध्यक्ष सुरेश बरडिया ने अपने विचार व्यक्त किए। ज्ञानशाला की मुख्य प्रशिक्षिका मीनाक्षी दक ने मुनिश्री के प्रति कृतज्ञता प्रकट की। इस अवसर पर प्रशिक्षिकाएं एवं लगभग 40 विद्यार्थियों ने सहभागिता की।