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प्रेक्षाध्यान और चित्त समाधि कार्यशाला का आयोजन
प्रेक्षा कल्याण वर्ष के अंतर्गत, तेरापंथ सभा गांधीनगर बैंगलोर के तत्वावधान में साध्वी सोमयशा जी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में प्रेक्षा ध्यान एवं चित समाधि कार्यशालाओं का आयोजन हुआ। प्रेक्षा वाहिनी के सौजन्य से आयोजित प्रेक्षाध्यान सत्र में प्रेक्षा प्रशिक्षक डालमकुमार सेठिया ने प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रदान किया। दीर्घ श्वास प्रेक्षा का प्रभावशाली अभ्यास रेणु कोठारी द्वारा कराया गया। इस सत्र में लगभग 20 प्रतिभागियों ने भाग लिया। द्वितीय चरण में चित्त समाधि कार्यशाला आयोजित की गई, जिसका शुभारंभ चित्त-समाधि गीत से हुआ। साध्वी सोमयशा जी ने चित्त की निर्मलता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि "चित्त समाधि का अर्थ है – शांतिपूर्ण जीवन जीना।
जहां प्रेम होता है, सहिष्णुता और सहभागिता होती है, वहीं मानसिक शांति का वास होता है और वहीं चित्त की निर्मलता बनी रहती है।' उन्होंने आगे कहा कि "जैन दर्शन में समभाव और स्थितियों को सहन करना ही कर्म निर्जरा का मार्ग है, जो निर्मल चित्त के बिना संभव नहीं।" साध्वी सरलयशा जी ने जीवन को समाधिमय बनाने के उपयोगी सुझाव प्रस्तुत किए, वहीं साध्वी ऋषिप्रभा जी ने सरल व प्रभावशाली प्रयोगों के माध्यम से उपस्थितजनों को लाभान्वित किया। इस अवसर पर तेरापंथ सभा अध्यक्ष पारसमल भंसाली, सभा पदाधिकारी तेयुप अध्यक्ष विमल धारीवाल सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।