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चातुर्मासिक प्रवेश पर अवसर को सार्थक बनाने की प्रेरणा
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी रचनाश्री जी का चातुर्मासिक मंगल प्रवेश नाथद्वारा में हुआ। कांतिलाल धाकड़ के निवास स्थान से एक विशाल रैली के रूप में प्रस्थान कर साध्वीश्री का तेरापंथ भवन में प्रवेश हुआ, जहाँ भव्य स्वागत समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विकास परिषद के सदस्य पदम पटावरी और पूर्व न्यायाधीश तथा संबोधि उपवन के अध्यक्ष बसंतीलाल बाबेल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। अपने संबोधन में उन्होंने तेरापंथ संघ की महिमा का वर्णन करते हुए नाथद्वारा की ऐतिहासिक घटनाओं का उल्लेख किया और वर्तमान चातुर्मास की मंगलकामनाएँ व्यक्त कीं। साथ ही, पूरे वर्ष को 'भिक्षुमय' बनाने हेतु प्रेरणा भी दी। साध्वी रचनाश्री जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि चातुर्मास काल में साधु-साध्वियाँ एक ही क्षेत्र में निवास करते हैं और यह वर्ष विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आचार्य श्री भिक्षु के 300वें जन्मदिवस का वर्ष है, जिसे 'भिक्षु चेतना वर्ष' के रूप में मनाया जाएगा। इस अवसर को सार्थक बनाने के लिए साध्वीश्री ने तीन प्रमुख योजनाएँ प्रस्तुत कीं: - 1. सवा करोड़ 'ॐ भिक्षु' जाप, 2. 10 प्रत्याख्यानों का तप, 3. भिक्षु विचार दर्शन विषय पर ज्ञान प्रतियोगिता।
साध्वी गीतार्थप्रभा जी, साध्वी प्रज्ञाप्रभा जी और साध्वी नमनप्रभा जी ने गीतों के माध्यम से धर्म-आराधना की प्रेरणा दी। कार्यक्रम में कांकरोली सभा के अध्यक्ष लाभचंद बोहरा, मंत्री धर्मेंद्र मेहता, महासभा सदस्य कांतिलाल धाकड़, अणुव्रत समिति के पूर्व अध्यक्ष सुभाष सामोता, सकल जैन समाज अध्यक्ष ईश्वरचंद्र सामोता, महिला मंडल अध्यक्ष मंजू पोरवाल और फतेहचंद बोहरा ने साध्वीश्री के प्रति अपने भावों की अभिव्यक्ति की। महिला मंडल द्वारा स्वागत गीत की प्रस्तुति दी गई। सभा के उपाध्यक्ष शिवलाल डागलिया ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में कांकरोली, कोशीवाडा, कुंठवा, राजनगर और उदयपुर से बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन महासभा सदस्य रमेश सोनी ने किया। युवती मंडल ने भिक्षु अष्टकम के साथ मंगलाचरण की प्रस्तुति दी।