'तेरापंथ मेरापंथ' कार्यशाला सम्पन्न

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गंगाशहर।

'तेरापंथ मेरापंथ' कार्यशाला सम्पन्न

आशीर्वाद भवन में 'तेरापंथ मेरापंथ' प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। शुभारंभ में गंगाशहर की उपासक बहनों द्वारा 'हम बने उपासक' गीत प्रस्तुत किया गया। उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी ने आचार्य श्री भिक्षु को 'आत्मवत् सर्वभूतेषु' की भावना का सजीव प्रतीक बताया और कहा कि तेरापंथ अज्ञानी को ज्ञानी बनाता है। उन्होंने कहा कि प्रतिभागी इस प्रशिक्षण से मिले ज्ञान को अपने क्षेत्रों में प्रसारित करें। प्रमुख प्रशिक्षक निर्मल नौलखा ने कहा कि उपादान हर व्यक्ति में होता है, लेकिन जागरण के लिए निमित्त आवश्यक है, और उपासक श्रेणी एक सशक्त निमित्त है। इस सत्र में महासभा के कार्यकारी सदस्य भैरूदान सेठिया, सभा मंत्री जतन संचेती व राजेंद्र सेठिया ने भी अपने विचार साझा किए। संचालन संजू लालाणी ने किया।
दूसरे सत्र में परीक्षण व वक्तव्य प्रस्तुतियाँ हुईं, जिनमें प्रतिभागियों ने तेरापंथ व आचार्य भिक्षु के सिद्धांतों पर चर्चा की। उपासक नौलखा ने प्रश्नों के सरल उत्तर देकर जिज्ञासाओं का समाधान किया। शनिवार को सामायिक-साधना, ‘तेरापंथ प्रबोध’ का संगान और रात्रि तक प्रस्तुति क्रम चला। कार्यक्रम का समापन मंगलपाठ से हुआ। दूसरे दिन उपासक नौलखा ने स्वरचित गीत से शुरुआत की। उन्होंने सम्यक्त्व को अंक और आचरण को शून्य बताते हुए कहा कि सम्यक्त्व के बिना आचरण का कोई मूल्य नहीं। छोटे प्रश्नों के सारगर्भित उत्तरों से प्रतिभागियों को दिशा मिली। कार्यशाला का आयोजन जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा एवं तेरापंथ सभा गंगाशहर द्वारा किया गया। इसमें 53 प्रतिभागियों ने भाग लिया। सभा कोषाध्यक्ष रतनलाल छल्लाणी ने आभार व्यक्त किया। उपाध्यक्ष नवरतन बोथरा व टीम ने व्यवस्था को सफलतापूर्वक संभाला। कार्यक्रम के अंत में उपासक श्रेणी में प्रवेश हेतु परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें गंगाशहर से 10 प्रतिभागियों ने भाग लिया।