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गंगाशहर में हुआ नथमल का भाग्योदय
गंगाशहर। आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का 106वां जन्मदिवस उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी के सान्निध्य में बोथरा भवन, गंगाशहर में श्रद्धा व भक्ति के साथ मनाया गया। मुनि कमल कुमार जी ने कहा कि बालक नथमल का भाग्योदय गंगाशहर में हुआ था। यहीं उन्हें प्रतिक्रमण का आदेश मिला और यहीं उन्हें 'महाप्रज्ञ' का अलंकरण प्राप्त हुआ। वे हजारों लोगों के जीवन निर्माता, भाग्यविधाता, और आगमों के गहन ज्ञाता थे। उनकी माता बालू जी, जो उनके साथ ही दीक्षित हुई थीं, उनकी अंतिम अवस्था में आचार्य महाप्रज्ञ जी द्वारा रचित गीतिका 'चैत्य पुरुष जाग जाए' आज भी मानसिक व आध्यात्मिक शांति देती है। उन्होंने बताया कि उनके प्रवचन, विचार और साहित्य से जैन-अजैन सभी प्रभावित हुए। प्रेक्षाध्यान, अहिंसा यात्रा जैसे उनके प्रयासों ने उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाला आध्यात्मिक शिरोमणि सिद्ध किया। उन्होंने राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के साथ 'सुखी परिवार, समृद्ध राष्ट्र' पुस्तक भी लिखी। मुनि विमलविहारीजी ने कहा कि आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का जन्म 14 जून 1920 को राजस्थान के टमकोर गांव में हुआ। दस वर्ष की उम्र में दीक्षा लेने वाले नथमल, आगे चलकर तेरापंथ धर्म संघ के 10वें आचार्य बने। उनका जीवन आचार्य तुलसी के सान्निध्य में साधना व समर्पण से परिपूर्ण रहा। मुनि श्रेयांस कुमार जी ने आचार्यश्री की करुणा, प्रज्ञा व गुरु भक्ति पर प्रकाश डालते हुए एक भावपूर्ण गीतिका प्रस्तुत की। इस अवसर पर सभा, न्यास, टीपीएफ, शांति प्रतिष्ठान, महिला मंडल, युवक परिषद, कन्या मंडल, अणुव्रत समिति आदि संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी अपने वक्तव्यों के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की।