दीक्षार्थी अभिनंदन समारोह का आयोजन

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हनुमंतनगर, बैंगलोर।

दीक्षार्थी अभिनंदन समारोह का आयोजन

हनुमंतनगर स्थित मूलचंद नाहर के निवास स्थान पर साध्वी पुण्ययशा जी के सान्निध्य में मुमुक्षु मनोज संकलेचा के अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण के साथ हुआ। साध्वी पुण्ययशा जी ने अपने उद्बोधन में कहा—'ज्ञान का सार विनम्रता है, ध्यान का सार निर्विचारता, जीवन का सार भलाई और साधना का सार समता है। जो व्यक्ति साधना के पथ पर अग्रसर होता है, उसके जीवन में ये चारों तत्व अवश्य विद्यमान होते हैं।' साध्वी श्री ने कहा कि जब वैराग्य पुष्ट होता है, तब व्यक्ति संयम पथ पर अग्रसर होने का दृढ़ संकल्प कर लेता है।
दीक्षार्थी को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा— 'जिस सिंह वृत्ति से संयम पथ का वरण किया है, उसी सिंह वृत्ति से आजीवन इस पथ पर आगे बढ़ना चाहिए। गुरु-निष्ठा एवं संघ-निष्ठा निरंतर वर्धमान हो, वैराग्य भाव सुदृढ़ होता रहे और गुरु इंगित की आराधना करते हुए लक्षित मंजिल को प्राप्त किया जाए।' साध्वी वर्धमानयशा जी ने भी अपने भावपूर्ण विचार प्रकट किए। दीक्षार्थी मनोज संकलेचा ने भावुकता से कहा—'गुरु के चरणों में रहना जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है। मैं उस पावन दिवस की प्रतीक्षा कर रहा हूँ जब मुझे पूज्य प्रवर के चरणों में रहने का सौभाग्य प्राप्त होगा। इस मार्ग पर अग्रसर होने में मेरे काका महाराज मुनि दिनेश कुमार जी का विशेष योगदान रहा है। साथ ही, परम पूज्य गुरुदेव का सूरत चातुर्मास मेरे वैराग्य की पुष्टि का कारण बना।'
इस अवसर पर युवा गौरव मूलचंद नाहर, सभा अध्यक्ष गौतम दक, मंजू दक, प्रकाश बाबेल, गौतम मुथा, अशोक नागौरी, संगीता तातेड़ एवं तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष कमलेश झाबक सहित कई गणमान्यजनों ने दीक्षार्थी मनोज संकलेचा को शुभकामनाएं दीं और उनके उज्ज्वल भविष्य की मंगलकामना की। संचालन ललित आच्छा ने कुशलतापूर्वक किया एवं परिषद के पूर्व अध्यक्ष गौतम खाब्या ने अंत में सभी का आभार व्यक्त किया।