राग से वीतरागता की ओर अग्रसर होने का मार्ग है दीक्षा

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गंगाशहर।

राग से वीतरागता की ओर अग्रसर होने का मार्ग है दीक्षा

उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमारजी के सान्निध्य में छोटी खाटू निवासी भुवनेश्वर प्रवासी विवेक बेताला व विज्ञादेवी बेताला के पुत्र मुमुक्षु मोहक बेताला के अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुनिश्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि वैराग्य का उदय उच्च क्षयोपशमिक कर्मों के क्षय से ही संभव होता है। दीक्षा, राग से वीतरागता की ओर अग्रसर होने का मार्ग है। मोहक अत्यंत विनीत और विचारशील है। भौतिकता के इस युग में छोटी आयु में जैन दीक्षा लेना उसकी संकल्पशक्ति और आत्मबल का परिचायक है। मुनिश्री ने कहा कि आज पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से समाज में अनेक विकृतियां प्रवेश कर रही हैं। जीवन में संस्कारों का ह्रास हो रहा है। जन्मदिन जैसे उत्सवों में केक काटने की परंपरा हमारी संस्कृति के विरुद्ध है। विवाह समारोहों में पूल पार्टियाँ, फूलों की होली, प्री-वेडिंग शूट जैसी अनावश्यक बुराइयाँ समाज में बढ़ रही हैं, जो आत्मविकास की राह में बाधक बनती हैं।
उन्होंने साधना को जीवन का केंद्र बनाने पर बल दिया। मुनिश्री ने कहा कि हमारी प्रत्येक क्रिया—प्रातःकाल जागरण से लेकर रात्रि विश्राम तक—साधना के भाव से युक्त होनी चाहिए। हर कार्य में जागरूकता, पाप प्रवृत्ति से बचाव, बोली में विवेक, संयमित भाषा, और भोजन में उनोदरी की भावना जरूरी है। जहां विवेक है, वहीं धर्म है। दूसरों की कमियों को देखने से अशांति और अपनी कमियों को देखने से शांति मिलती है। मुनिश्री ने समिति गुप्तियों की जागरूकता अपनाने और आत्म उत्थान की राह पर अग्रसर होने का संदेश दिया।
इस अवसर पर मुनि श्रेयांसकुमारजी ने भावपूर्ण गीतिका प्रस्तुत की। मुनि मुकेशकुमारजी ने साध्वी रोहितप्रभाजी द्वारा मुमुक्षु मोहक के लिए भेजे गए विचारों का वाचन किया। मुनि विमलविहारीजी ने भी अपने विचार रखे। तेरापंथी सभा गंगाशहर के मंत्री जतनलाल संचेती ने मुमुक्षु मोहक को भावी मुनि जीवन के लिए मंगलकामनाएं दीं। मोहक के पिता विवेक बेताला ने बताया कि आचार्यश्री महाश्रमणजी के भुवनेश्वर में प्रवेश जुलूस के प्रथम दर्शन मात्र से ही मोहक के अंतर्मन में वैराग्य के बीज अंकुरित हो गए थे। तेरापंथी सभा के उपाध्यक्ष नवरतन बोथरा, हनुमान सेठिया एवं तेयुप मंत्री मांगीलाल बोथरा ने मुमुक्षु मोहक का साहित्य एवं पताका से सम्मान कर अभिनंदन किया।