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वर्धमान होने के लिए वर्तमान में रहना जरूरी
जयपुर। मुनि तत्त्वरुचि जी ‘तरुण’ का बरकत नगर क्षेत्र में आगमन हुआ। यहाँ स्थित लोढ़ा निवास पर 'सुख-शांति से कैसे जीएं' विषय पर प्रवचन करते हुए मुनिश्री ने कहा—आज टेक्नोलॉजी ने मन को बहुत चलायमान कर दिया है। कार्य की सफलता के लिए मन की एकाग्रता आवश्यक है। मुनिश्री ने बताया कि 'भाव क्रिया' प्रेक्षाध्यान की उपसम्पदा का एक महत्वपूर्ण सूत्र है। भूत और भविष्य से मुक्त होकर केवल वर्तमान में जीने की प्रक्रिया को ही भाव क्रिया कहा जाता है। मुनिश्री ने कहा—जीवन में वर्तमानता से ही वर्धमानता आती है। अतः वर्धमान होने के लिए वर्तमान में रहना आवश्यक है। मुनि संभवकुमार जी ने कहा—जो व्यक्ति भूत और भविष्य में जीता है, वह वर्तमान का आनंद नहीं ले पाता। वर्तमान में रहे बिना कार्य को सही ढंग से सम्पन्न कर पाना कठिन हो जाता है। इस अवसर पर सुमन कोठारी एवं सुनील कुमार लोढ़ा ने अपने विचारों से, तथा सुनीता एवं संगीता लोढ़ा ने गीत गाकर मुनिश्री का स्वागत किया।