अहंकार और मान का विनम्रता से करें विलय : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

महावीर आराधना केन्द्र, अहमदाबाद। 5 जुलाई, 2025

अहंकार और मान का विनम्रता से करें विलय : आचार्यश्री महाश्रमण

भगवान महावीर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ कोबा में ही स्थित महावीर आराधना केन्द्र में पधारे। पूज्यप्रवर ने फरमाया कि वीतराग जैसे महान पुरुषों को छोड़ दें, तो बाकी प्रायः किसी न किसी रूप में अहंकार व्यक्ति में रहता ही है। व्यक्ति को कुछ मिल जाता है, तो उसका घमंड आ सकता है। व्यक्ति को विद्या और पांडित्य का भी घमंड हो सकता है। जो सर्वज्ञ हो गया, उसे घमंड नहीं होता। विद्या विनय से शोभित होती है। ज्ञान का यथोचित उपयोग करना चाहिए। शक्ति है तो उसका भी सदुपयोग करें, घमंड न करें। सुंदर चेहरे और स्वस्थ शरीर का भी घमंड न करें। तपस्या का भी अहंकार न हो। किसी के पास सत्ता है, प्रभुत्व है तो उसके भी अहंकार से बचना चाहिए। सत्ता का प्राप्त होना किसी पुण्य का योग हो सकता है, तो उसका उपयोग सेवा में करें, न कि उसका घमण्ड करना चाहिए। धन के अहंकार से भी बचने का प्रयास करना चाहिए। पैसे में ज्यादा आसक्ति और मोह से भी बचने का प्रयास करना चाहिए। पैसे का दुरुपयोग करने से भी बचने का प्रयास करना चाहिए।
जीवन में यदि उत्कर्ष है, तो वह पूर्व की पुण्याई का फल है। आगे का चिंतन करें कि कहीं दुर्गति में न जाना पड़े। पुण्य अहंकार का कारण न बने। वैभव से आदमी घमण्ड की ओर चला जा सकता है। अहंकार एक दुराग्रह है। पुण्य होने पर भी संयम रखें। व्यक्तिगत जीवन में सादगी रहे। जितना संभव हो, जीवन में विनयवान बने रहने का प्रयास होना चाहिए। आदमी को अपने अहंकार को मार्दव से जीतने का प्रयास करना चाहिए। परिवार, समाज, समुदाय कहीं भी अहंकार काम का नहीं होता है। आदमी को निरंहकारता का उपयोग करे और विनयवान बनने का प्रयास
करना चाहिए।
नमस्कार करने से वात्सल्य बरसता है। खिंचाव से पतन हो सकता है। नम्रता से अहंकार की गांठ ढीली होती है। पहले स्वयं झुकेंगे, तो दूसरे भी झुकेंगे। हमें निरहंकारता का प्रयोग करना चाहिए।पूज्यवर ने फरमाया - आज हमारा महावीर आराधना केन्द्र में आना हुआ है। हम प्रेक्षा विश्व भारती के पड़ोस में आ गए हैं। दोनों स्थानों पर धार्मिक और आध्यात्मिक साधना निरंतर चलती रहे। महावीर आराधना केन्द्र की ओर से श्रीपालभाई ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी भावाभिव्यक्ति दी। उन्होंने कुछ पुस्तकें आचार्यश्री को निवेदित की। आचार्यश्री ने उन्होंने मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।