दो धाराओं के मधुर मिलन से गूंजा जैन एकता का स्वर

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गंगाशहर।

दो धाराओं के मधुर मिलन से गूंजा जैन एकता का स्वर

तुलसी विहार उपाश्रय में आयोजित विशेष प्रवचन कार्यक्रम में उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी, मुनि श्रेयांस कुमार जी तथा खतरगच्छीय मुनि मेहुल कुमार जी का सान्निध्य प्राप्त हुआ। इस अवसर पर जैन एकता को केंद्र में रखते हुए सभी संतों ने अपने प्रेरणादायी विचार प्रस्तुत किए। मुनि कमल कुमार जी ने कहा कि वर्तमान समय में जैन एकता की अत्यंत आवश्यकता है। एकता से ही समाज में सौहार्द बढ़ेगा और आने वाली पीढ़ी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। आपसी खींचातानी किसी के हित में नहीं होती। मुनिश्री ने संतों से मिलकर प्रसन्नता की अनुभूति व्यक्त करते हुए कहा कि हमें मर्यादाओं में रहते हुए एक-दूसरे के गुणों को देखना चाहिए, न कि कमियों को। तेरापंथ प्रबोध के एक पद्य का संगान करते हुए उन्होंने जैन एकता को सौहार्द का प्रथम बिंदु बताया और कहा कि यदि हम आपस में स्नेहपूर्वक मिलें, तो श्रावक-श्राविकाएं भी अपने आप जुड़ जाएंगे। मुनि मेहुल कुमार जी ने कहा कि यह उनके लिए प्रथम अवसर था जब उन्होंने तेरापंथी संतों के साथ लंबी वार्ता की, जिससे उन्हें बहुत कुछ सीखने और समझने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि पानी भले ही एक ही कुएं का हो, पात्र अलग-अलग हो सकते हैं, परंतु पानी के स्वाद में कोई अंतर नहीं होता। इसी प्रकार हम सब जैन हैं, भले ही सम्प्रदाय या गच्छ अलग-अलग हों, हमारा लक्ष्य एक ही है—आध्यात्मिक उन्नति। मुनि श्रेयांस कुमार जी ने अपने मधुर काव्यपाठ से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दिवस का प्रातःकालीन प्रवचन सूरजमल दुग्गड़ के निवास स्थान पर हुआ, जबकि बोथरा भवन में ग्यारह रंगी का विधिवत शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम के दौरान अणुव्रत समिति के नव-निर्वाचित अध्यक्ष करणीदान रांका ने भी अपने विचार व्यक्त किए।