सुखी परिवार का मंत्र है सामंजस्य

संस्थाएं

उत्तर कोलकाता।

सुखी परिवार का मंत्र है सामंजस्य

मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में तथा तेरापंथ युवक परिषद उत्तर कोलकाता के तत्वावधान में विनायक परिसर में व्यक्तित्व विकास कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का विषय था – 'कैसे रहें सुखी घर-परिवार', जिसमें बड़ी संख्या में भाई-बहनों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने संबोधित करते हुए कहा, 'मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज की सबसे छोटी तथा महत्वपूर्ण इकाई परिवार है। परिवार एक बगीचे की तरह होता है, एक गुरुकुल की भांति शिक्षादायक और एक सामूहिक चेतना का प्रतीक होता है।' उन्होंने बताया कि परिवार में सुखपूर्वक रहने के अनेक सूत्र हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है – सामञ्जस्य, जिसका अर्थ है आपसी खींचतान न होना और आग्रहों का त्याग करना।
मुनिश्री ने कहा कि सेवा, सहयोग और सहिष्णुता के भाव से पारिवारिक दूरी समाप्त होती है और आत्मीयता का विकास होता है। उन्होंने सेवा को निःस्वार्थ भाव से करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि सेवा-संस्कृति ही दीर्घजीवी और तेजस्वी बनती है। मुनिश्री ने परिवार के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि परिवार मानवीय गुणों का केंद्र होता है और इसकी शांति एवं सुख के लिए विचारों का आदान-प्रदान, ध्यान, जप आदि अत्यंत उपयोगी साधन हैं। कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद जी ने किया और मुनि कुणाल कुमार जी ने भावपूर्ण गीत की प्रस्तुति दी। तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष प्रदीप हीरावत ने स्वागत भाषण दिया एवं मंत्री आदित्य संचेती ने आभार ज्ञापन किया।