व्यापक चिंतन के धनी थे आचार्यश्री महाप्रज्ञ

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साल्टलेक।

व्यापक चिंतन के धनी थे आचार्यश्री महाप्रज्ञ

साल्टलेक। मुनि जिनेशकुमार जी के सान्निध्य में आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी की 106वीं जन्म जयंती प्रज्ञा दिवस के रूप में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, साल्टलेक द्वारा राजरहाट स्थित सिल्वर ऑक कम्युनिटी हॉल में आयोजित की गई। इस अवसर पर मुनिश्री ने उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा, आचार्य महाप्रज्ञ जी जैन शासन के ज्योतिर्धर पुरुष थे। वे प्रगतिशील धर्मसंघ के दसवें अधिशास्ता और आचार्य श्री तुलसी के सक्षम पट्टधर थे। उनकी बुद्धि विलक्षण और व्यक्तित्व विशिष्ट था। वे जैन न्याय के राधाकृष्णन और आधुनिक युग के द्वितीय विवेकानंद थे। उन्होंने आगे कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जी ने अपने कर्तृत्व, व्यक्तित्व, साधना एवं ज्ञान के माध्यम से न केवल जैन और तेरापंथ समाज का बल्कि संपूर्ण मानवता का उत्थान किया। वे एक महान साहित्यकार, प्रवचनकार, कुशल प्रशासक, योगी, व्यापक चिंतन के धनी एवं भविष्यद्रष्टा थे। गुरुदेव तुलसी की सान्निध्य में उन्होंने आगम संपादन कार्य प्रारंभ कर जिन शासन की अनुपम सेवा की। मुनि श्री ने आगे कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जी एक आलोकपुंज और सकारात्मक सोच के धनी व्यक्ति थे। उनका अध्ययन गहराई से भरा हुआ था और वे अंतरराष्ट्रीय स्तर के दार्शनिक मनीषी थे। कार्यक्रम का शुभारंभ राजरहाट क्षेत्र की बहनों द्वारा मंगलाचरण से हुआ। मुनि कुणाल कुमार जी ने भावपूर्ण गीत की प्रस्तुति दी। प्रेक्षा प्रशिक्षिकाओं द्वारा सुमधुर गीत का संगान किया गया। इस अवसर पर साल्टलेक सभा अध्यक्ष जयसिंह डागा, अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की संगठन मंत्री रमण पटावरी एवं गुलाब चोरड़िया ने भी अपने विचार रखे। आभार प्रदर्शन सभा मंत्री अशोक भूतोडिया ने किया एवं कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद जी द्वारा किया गया।