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निर्मलता, निश्छलता और सहजता का बहता दरिया
झकनावदा। साध्वी पंकजश्री जी के सान्निध्य में प्रेक्षा प्रणेता आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का 106वां जन्मदिवस श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर साध्वी श्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी निर्मलता, निश्छलता और सहजता का बहता दरिया थे। वे ऋजुता और प्रज्ञा के प्रतीक थे, ज्ञान के अगाध सागर थे। अपने गुरु के प्रति उनका समर्पण असीम था, और आर्ष वाणी उनकी प्राण ऊर्जा। उनका साहित्य मानवता को सदियों तक पथदर्शन देता रहेगा। उनका हर जन्मदिन ऊर्जा व शक्ति का आदित्य बनकर उदित होता है। झकनावदा के श्रावकगण अत्यंत भाग्यशाली हैं जो ऐसे महापुरुष की जन्मजयन्ति मना रहे हैं। साध्वी शारदाप्रभा जी ने प्रेक्षाध्यान का प्रयोग कराया और कहा कि गुरुदेव का जन्म खुले आकाश में हुआ और उनका मन भी उसी आकाश की भाँति विशाल था।