आचार्य महाप्रज्ञ  के व्यक्तित्व के  थे अनेक रूप

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आचार्य महाप्रज्ञ के व्यक्तित्व के थे अनेक रूप

दिल्ली। आचार्य महाप्रज्ञ एक व्यक्ति अवश्य थे, लेकिन उनके व्यक्तित्व के अनेक रूप थे। कभी वे आचार्य भिक्षु के विचारों को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते दिखते, तो कभी आचार्य तुलसी के भाष्यकार के रूप में दृष्टिगोचर होते। कभी वे दार्शनिक और साहित्यकार बन जाते, तो कभी आगम संपादक के रूप में सक्रिय दिखाई देते। कभी प्रशासनिक कार्यों में व्यस्त रहते, तो कभी आंखें मूंदकर अंतरजगत में गोते लगाते। उनके इन सभी रूपों को समझना और उनका विश्लेषण करना अत्यंत कठिन कार्य है। उन्होंने तेरापंथ धर्मसंघ को आकाश जैसी ऊंचाई और समुद्र जैसी गहराई प्रदान की, और जैन धर्म की पहचान को एक नई दिशा दी। उपरोक्त विचार 'शासनश्री' साध्वी सुव्रतांजी ने आचार्य महाप्रज्ञ जन्मोत्सव कार्यक्रम में समाज को संबोधित करते हुए कहे। कार्यक्रम का शुभारंभ शालीमार बाग की बहनों द्वारा हुआ।
'शासनश्री' साध्वी सुमनप्रभा जी ने आचार्य महाप्रज्ञ जी की विलक्षण विशेषताओं को रेखांकित करते हुए कहा कि उनके व्यक्तित्व को किसी मापदंड से नहीं परखा जा सकता। वे आज हमारे बीच नहीं हैं, किंतु उनके द्वारा दिया गया योगदान इतिहास के उज्ज्वल पृष्ठों पर और हमारे जीवन व्यवहार में सदैव अंकित रहेगा। साध्वी कार्तिकप्रभा जी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ संयम के महासूर्य और ज्ञान के महासागर थे। उनके पवित्र आभामंडल में बुद्ध की करुणा, महावीर की समता और महात्मा गांधी की अहिंसा की अभिव्यक्ति होती थी। अध्यक्षा सज्जनदेवी गिडिया ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए आचार्य महाप्रज्ञ जी के चरणों में श्रद्धा समर्पित की। संजय खटेड़ ने सभा में उपस्थित गणमान्य अतिथियों का परिचय देते हुए अपने भावों को साझा किया। इनमें महासभा के उपाध्यक्ष अणुव्रत न्यास के ट्रस्टी डालम चंद बैद, तेरापंथ सभा दिल्ली के अध्यक्ष सुखराज सेठिया, मानसरोवर से नरेंद्र पारख, पश्चिम विहार से श्यामलाल जैन, रोहिणी सभा अध्यक्ष विजय जैन, पीतमपुरा सभा अध्यक्ष लक्ष्मीपत भूतोड़िया, मंत्री वीरेन्द्र जैन, ज्ञानशाला परामर्शक मनफूल जैन, ईश्वर जैन, पालम सभा अध्यक्ष राजा कोठारी, शास्त्री नगर सभा अध्यक्ष तथा उत्तर-मध्यम दिल्ली महिला मंडल अध्यक्ष मधु जैन, कमला बैंगाणी आदि प्रमुख थे। शालीमार बाग की बहनों ने शब्दचित्र के माध्यम से आचार्य महाप्रज्ञ की भावभरी अभिवंदना प्रस्तुत की। अजय जैन ने आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस आयोजन में शास्त्री नगर, पीतमपुरा, रोहिणी, पश्चिम विहार, मानसरोवर, पालम, त्रिनगर, लाजपत नगर आदि क्षेत्रों के श्रद्धालुओं की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन साध्वी चिंतनप्रभाजी ने किया।