
संस्थाएं
सवा पाँच माह में चार बड़ी तपस्याएं बनीं सबके आकर्षण का केंद्र
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी के सान्निध्य में मुनि नमिकुमार जी की विशिष्ट तपस्याओं का अनुमोदन समारोह श्रद्धा और उत्साह के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुनि कमल कुमार जी ने मुनि नमिकुमार जी द्वारा अल्पावधि में की गई चार बड़ी तपस्याओं की सराहना करते हुए कहा कि इतिहास में हमने पढ़ा और पूर्वजों से सुना है कि ऐसे तपस्वी भी होते थे जो एक ही वर्ष में कई मासखमण की तपस्याएं कर लेते थे। आज हम यह दृश्य आचार्य श्री महाश्रमण जी के शासनकाल में प्रत्यक्ष देख रहे हैं। उन्होंने बताया कि मुनि नमिकुमार जी ने मात्र सवा पाँच महीने की अवधि में क्रमशः 39, 22, 23 और 24 उपवास की चार कठिन तपस्याएं पूर्ण कर अपनी साधना, शक्ति और भक्ति का अद्भुत परिचय दिया है। मुनिश्री ने कहा कि तपस्या का मूल उद्देश्य कर्म निर्जरा है, और निष्काम भाव से की गई तपस्या ही व्यक्ति के लिए कल्याणकारी होती है।
इस अवसर पर मुनि कमल कुमार जी ने नमि मुनि के लिए छंदों की रचना कर उनका उत्साहवर्धन किया। उन्होंने कहा कि साधु-साध्वियों को 'तपोधन' कहा जाता है, क्योंकि उनका असली धन ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप होता है। अपने सहदीक्षित मुनि श्रेयांस कुमार जी की तप साधना का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि गंगाशहर आगमन के बाद उन्होंने लगातार 13 दिन, 12 दिन तथा एकान्तर उपवास की तपस्याएं की हैं, और अब वे कंठी तप का प्रत्याख्यान कर रहे हैं। तप के प्रभाव से उन्होंने अपना स्वास्थ्य भी सुदृढ़ कर लिया है। पहले जो कुछ ही कदम चलने में सहारा लेते थे, वे अब गोचरी के लिए भीनासर और बीकानेर तक पैदल जाते हैं। उनके मन में गुरु के प्रति श्रद्धा का गहरा भाव है और वे बिना कहे हर कार्य में सहयोग करते हैं।
मुनि श्रेयांस कुमार जी ने नमि मुनि की तपस्या की सराहना करते हुए एक मधुर गीत की प्रस्तुति दी। मुनि विमल विहारी जी ने इस तप को विलक्षण बताते हुए इसे प्रेरणा का स्रोत कहा। मुनि मुकेश कुमार जी ने भी एक भावपूर्ण भक्ति गीत प्रस्तुत किया। मुनि नमिकुमार जी ने अपने उद्बोधन में गुरुदेव की कृपा और मुनि कमल कुमार जी के मार्गदर्शन के प्रति आभार व्यक्त किया।समारोह के दौरान कई श्रद्धालुओं ने एकासन, उपवास और बेले तप का प्रत्याख्यान किया। लाभचंद आंचलिया ने 15 दिन की तपस्या का संकल्प लिया। समारोह में बड़ी संख्या में भाई-बहनों की उपस्थिति रही।