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जैन विश्व भारती में दो दिवसीय साहित्यिक उत्सव एवं विराट कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन
सुप्रसिद्ध कवियों ने निकटता से किया तेरापंथ साहित्य संग्रह का अवलोकन
आध्यात्मिक एवं शैक्षणिक परिसर जैन विश्व भारती में द्विदिवसीय 'काव्य की सुर सरिता' राष्ट्रीय साहित्यिक संगोष्ठी एवं विराट कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें देश के 15 विभिन्न राज्यों से कवि, शिक्षक, भाषाविद, साहित्यकार एवं विद्वतजन सहभागी बने। जैन विश्व भारती द्वारा आयोजित इस आयोजन को चंदनतारा दुगड़ फाउंडेशन की ओर से राजेश दुगड़ ने प्रायोजित किया। मुनि जयकुमार जी के दिशा-निर्देशन में सम्पन्न हुए इस विराट आयोजन के सूत्रधार अंतरराष्ट्रीय कवि एवं प्रखर वक्ता राजेश चेतन रहे, मार्गदर्शक के रूप में संस्था के परिसर संयोजक धर्मचंद लुंकड़ तथा आयोजन संयोजक इन्द्र बैंगानी की भूमिका रही। लगभग 125 एकड़ में फैला आत्मा की प्रत्येक कामना को शांत करने की सामर्थ्य रखने वाला जैन विश्व भारती का सुरम्य परिसर 'कामधेनु' एवं 'जयकुंजर' की उपमा को सार्थक करता है। ऐसे वातावरण में देश के 27 ख्यातनाम कवियों का एक साथ समागम परिसर को अध्यात्म और काव्य की सुर सरिता से सराबोर कर गया।
इस आयोजन में डॉ. अशोक बत्रा, डॉ. आदित्य जैन, डॉ. कमलेश जैन 'वसंत', करण सिंह जैन, केसरदेव मारवाड़ी, दीपा सैनी, नरेश शांडिल्य, प्रियंका राय 'ॐ नंदिनी', बलजीत कौर, मधु मोहिनी उपाध्याय, मनोज गुर्जर, महेश दुबे, योगेंद्र शर्मा, डॉ. रसिक गुप्ता, राजेश चेतन, राजेश विद्रोही, डॉ. राहुल अवस्थी, डॉ. रुचि चतुर्वेदी, श्रद्धा शौर्य, संदीप शजर, सपना सोनी, समोद सिंह (कमांडो), सरला मिश्रा, सरिता जैन, सोनल जैन, डॉ. सुरेंद्र जैन, हरीश हिन्दुस्तानी जैसे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कवि-कवयित्रियाँ उपस्थित रहे।
प्रथम सत्र का शुभारंभ प्रातःकाल उद्घाटन सत्र से हुआ, जिसका विषय था 'अध्यात्म और कविता'। सत्र की अध्यक्षता संस्था अध्यक्ष अमरचंद लुंकड़ ने की। मुख्य अतिथि जैन विश्व भारती संस्थान के कुलपति प्रो. बी.आर. दुगड़ एवं विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवि योगेंद्र शर्मा रहे। संस्था के मंत्री सलिल लोढ़ा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। विषय प्रवर्तन राजेश चेतन ने किया एवं बीज वक्तव्य डॉ. अशोक बत्रा ने प्रस्तुत किया। 'शासनश्री' मुनि विजयकुमार जी एवं मुनि जयकुमार जी ने विषय पर पाथेय प्रदान किया। सत्र का संचालन डॉ. लिपि जैन ने तथा धन्यवाद ज्ञापन राजेंद्र खटेड़ ने किया। सत्र के पश्चात मुनि जयकुमार जी से सभी प्रतिभागियों का व्यक्तिगत परिचय हुआ।
द्वितीय सत्र का आयोजन परिसर स्थित साहित्य सदनम् में मुनि जयकुमार जी के सान्निध्य में हुआ, जिसका विषय था 'तेरापंथ का हिन्दी साहित्य में योगदान'। विषय प्रवर्तन सुप्रसिद्ध दोहाकार नरेश शांडिल्य ने किया, अध्यक्षता प्रो. राहुल अवस्थी ने की एवं विशिष्ट अतिथि संस्था के उपाध्यक्ष अजीत सिंह चोरड़िया रहे। तत्पश्चात खुला सत्र आयोजित हुआ, जिसमें वक्ताओं ने विषय के संदर्भ में सारगर्भित विचार एवं बहुमूल्य सुझाव प्रस्तुत किए। मुनि जयकुमार जी ने तेरापंथ के हिन्दी साहित्य के प्रचार-प्रसार हेतु आधुनिक संसाधनों के समुचित प्रयोग पर बल दिया। सत्र का संचालन राजेश विद्रोही ने एवं धन्यवाद ज्ञापन साहित्य विभाग के विभागाध्यक्ष विजयराज आंचलिया ने किया। सत्र के पश्चात उपस्थित अतिथियों ने तेरापंथ साहित्य के संग्रह का अवलोकन किया।
तृतीय सत्र में संपोषणम् सभागार में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। अध्यक्षता अमरचंद लुंकड़ ने की एवं मुख्य अतिथि जिला कलेक्टर महेन्द्र सिंह खड़गावत रहे। आगंतुक कवियों का स्वागत स्मृति चिन्ह एवं साहित्य भेंट कर किया गया। सम्मान सत्र का संचालन संस्था मंत्री सलिल लोढ़ा ने किया। तत्पश्चात विराट कवि सम्मेलन प्रारंभ हुआ, जिसमें देशभर से पधारे कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। संचालन अंतरराष्ट्रीय कवि राजेश चेतन ने अपनी चिर-परिचित शैली में किया।
चतुर्थ सत्र में 'शासनगौरव' साध्वी कल्पलता जी के सान्निध्य में साध्वियों एवं समणीवृंद द्वारा हस्तलिखित पांडुलिपियों, हस्तनिर्मित कलाकृतियों एवं सेवा-उपासना आधारित प्रदर्शनी आयोजित की गई, जिसे सभी सहभागियों ने सराहते हुए अवलोकन किया। पंचम सत्र में विश्वविद्यालय स्थित आचार्य महाश्रमण सभागार में एक और विराट कवि सम्मेलन आयोजित हुआ। कुलपति प्रो. बी.आर. दुगड़ एवं संस्था अध्यक्ष अमरचंद लुंकड़ ने अतिथि कवियों का स्वागत किया। स्वागत सत्र का संचालन डॉ. युवराज सिंह खंगारोत ने किया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता नरेश शांडिल्य ने की एवं संचालन डॉ. कमलेश जैन 'वसंत' ने किया। छात्र-छात्राओं सहित उपस्थित जनसमूह ने प्रस्तुतियों का भरपूर आनंद लिया। मुनि जयकुमार जी एवं मुनि मुदितकुमार जी ने भी अपनी काव्य रचनाएं प्रस्तुत कीं।
षष्ठम समापन सत्र का आयोजन 'शासनश्री' मुनि विजयकुमार जी एवं मुनि जयकुमार जी के सान्निध्य में सम्पन्न हुआ, जिसमें मुनि जयकुमार जी ने एकल काव्य पाठ प्रस्तुत किया। तत्पश्चात अतिथि कवियों एवं विद्वानों ने आयोजन की समीक्षा प्रस्तुत की। आयोजन संयोजक इन्द्र बैंगानी ने प्रायोजक परिवार एवं सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। समापन सत्र का संचालन राजेश चेतन ने किया। मुनिश्री के मंगलपाठ के साथ ‘काव्य की सुर सरिता’ द्विदिवसीय साहित्यिक एवं काव्य आयोजन का समापन हुआ। आयोजन की व्यवस्थाओं में मनोज लुनिया (कोलकाता), भंवर गोठी (जयपुर), डॉ. विजयश्री शर्मा, संजय बोथरा, सुशील मिश्रा, अभिषेक कासलीवाल सहित संस्था के सेवाकर्मियों का सराहनीय योगदान रहा।