
रचनाएं
दुनियां कुछ भी कहती उनको
तेरापंथ के शलाका पुरुष को, मेरा शत-शत वन्दन है।
उनके इस महान अवदान पर, हम करते उनका अभिनंदन है।।
उस महामना को क्या कहूं, उसके कितने-कितने हम पर उपकार हैं।
इस भवसागर में डूबते भक्तों की वो पतवार हैं।
दुनियां कुछ भी कहती उनको, सच कहता हूं —
इस युग के 'हनु', वो पच्चीसवें अवतार हैं।।
इस धरा को दिए हैं उसने, अद्भुत नए विचार हैं।
तेरापंथ की नींव के, वो सबसे बड़े आधार हैं।
संकट मोचन, सब दुःख भंजन, भिक्षु नाम यह तारण हार है।
दुनियां कुछ भी कहती उनको, सच कहता हूं — इस युग के...
तेरापंथ के मोर मुकुट हैं, और गले के हार हैं।
रामायण, गीता, वेद और आगम, सभी ग्रंथों के वो सार हैं।
जिसने भिक्षु नाम जपा हो, बेड़ा उसका पार है।।
दुनियां कुछ भी कहती उनको, सच कहता हूं — इस युग के...
भारत की यह पावन धरती, करती आज पुकार है।
भक्त जनों को पड़ी है बाबा, फिर आज तेरी दरकार है।
जहां भी देखो, गूंज रही है बस तेरी जय-जयकार है।।
दुनियां कुछ भी कहती उनको, सच कहता हूं — इस युग के...