
रचनाएं
साहस के सौदागर भिक्षु
साहस के सौदागर भिक्षु, तेरी जय विजय हो -3
भीखण, भिक्खु स्वाम, मेरी आस्था के धाम,
जग रखवारेऽऽऽ रखवारेऽऽऽ
साधना के शिखर पुरूष की पग-पग जय जयकार है,
बल्लू शाह के दुलारे दीपा नयन सितारे
गण के महाप्राण हो महाप्राण।।
1. कंटालिय में जन्म तुम्हारा, बोधि राजनगर पाये,
ओरी अंधेरी के तम से, तेरापंथ उजाला फैलाये,
तप भूमि सिरियारी कण-कण यश गाथायें गाये।
महउपकारी भिक्षु गण वरदायी ।।
2. आत्मशुद्धि की निखरी कहानी, झंझावातों को चीरकर,
आध्यात्मिक आरोहण यात्रा, समता रस का पान कर,
मोह ममता की डोर को काटा, अहंकार नहीं साथ हो।
मर्यादा से बांधी गण की नींवें गहराई ।।
3. महाश्रामण भगवान हमारे भिक्षु और महावीर हैं,
भक्ति से भावित मुख्यमुनिश्री, घट में गुरु तस्वीर है,
साध्वीप्रमुखाश्री साध्वी वर्या, घट में गुरु तस्वीर है,
भिक्षु चेतना वर्ष सुनहरा, आशीर्वार बक्साये।
ज्ञान दर्शन तप चरण में अव्वल हम बन जाये ।।
भीखण भिक्खु स्वाम,
जय ज्योतिचरण ज्योतिचरण।
लय - कौन दिशा में