ॐ भिक्खू स्याम

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साध्वी आस्थाप्रभा

ॐ भिक्खू स्याम

भिक्षु-भिक्षु भजले रे प्राणी, भिक्षु की वाणी जन-जन कल्याणी।
ॐ भिक्खू स्याम, भिक्खू स्याम, मेरे स्याम।
ॐ मोरे श्याम, मोरे श्याम, भिक्षु स्वाम।।
1. ॐ भिक्षु का नाम सदा सुखकारी, जो जपता है बन अविकारी।।
2. बल्लू शा के लाल दुलारे, दीपानंदन कुल उजियारे।।
3. धर्म क्रान्ति का बिगुल बजाया, सत्य शोधकर पथ दिखलाया।।
4. विघ्न हरण है मंगलकारी, सब दुख भंजन भवभयहारी।।
5. हर धड़कन में बसे हो स्वामी, घट-घट के हो अन्तर्यामी।।
6. श्वास-श्वास में भिक्षु बोले, रोम-रोम में अमीरस घोले।।
7. श्रद्धावनत है आस्था धाम, सरजाए मनवांछित काम।।
8. भिक्षु त्रिजन्म शताब्दी आई, जन-जन मन में पुलकन छाई।।
लय - राम सिया सिया राम जय