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आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन
तेरापंथ सभा भवन में आयोजित त्रिदिवसीय धार्मिक कार्यक्रमों की श्रृंखला अत्यंत हर्षोल्लास एवं आध्यात्मिक वातावरण में प्रारंभ हुई। आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी के पावन अवसर पर आचार्य भिक्षु के त्रिशताब्दी जन्म वर्ष को 'भिक्षु चेतना वर्ष' के रूप में उल्लासपूर्वक मनाया गया, जिसकी उद्घोषणा पूज्य आचार्य प्रवर द्वारा की गई थी। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी त्रय द्वारा 'भिक्षु म्हारे प्रगट्या जी' गीत के संगान से हुआ, जिसने वातावरण को भावविभोर कर दिया। साध्वी काव्यलताजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि कांठा क्षेत्र की पुण्यभूमि कंटालिया में माता दीपां को सिंह स्वप्न के पश्चात एक तेजस्वी बालक का जन्म हुआ, जिसका नाम भीखण रखा गया। कुशाग्र बुद्धि, निर्भीक व्यक्तित्व एवं तीक्ष्ण मेधा से संपन्न आचार्य भिक्षु ने अल्पायु में ही वैराग्य की ओर अग्रसर होते हुए आचार्य रघुनाथ जी से दीक्षा ग्रहण की। कालांतर में तेरापंथ धर्मसंघ की स्थापना हुई, जो आज विश्व क्षितिज पर अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है। इस अवसर पर पाली जैन समाज के सभी वर्गों के गणमान्य जनों की गरिमामयी उपस्थिति रही। महासभा सदस्य गौतम छाजेड़ ने आगंतुकों का आत्मीय स्वागत किया। ललिता ओस्तवाल द्वारा मासखमण एवं सुरेंद्र सालेचा द्वारा अट्ठाई की तपस्या ने कार्यक्रम को एक शुभ प्रारंभ प्रदान किया। युवक परिषद द्वारा साध्वीश्री के सान्निध्य में मेगा ब्लड डोनेशन ड्राइव के बैनर का अनावरण किया गया। महिला मंडल, अणुव्रत समिति सहित सभी संस्थाओं की सक्रिय सहभागिता रही। आषाढ़ शुक्ल चतुर्दशी पर साध्वीश्री ने विशाल जनसमूह को कंद-मूल, सचित्त एवं रात्रि भोजन के त्याग का संकल्प दिलवाया तथा ब्रह्मचर्य की साधना हेतु प्रेरित किया। साध्वी ज्योतियशा जी, साध्वी सुरभिप्रभा जी एवं साध्वी राहतप्रभा जी द्वारा प्रस्तुत गीत 'जागो जागो जी, जगाने आया चातुर्मास है' ने उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम का सुंदर संचालन साध्वी ज्योतियशा जी ने किया तथा साध्वी वृंद द्वारा हाजरी का वाचन भी संपन्न हुआ। सभा के मंत्री प्रकाश कांकरिया ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया। साध्वी काव्यलता जी ने अपने उद्बोधन में आचार्य भिक्षु के तपोबल, आत्मबल, ज्ञानबल एवं श्रद्धाबल की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इन्हीं शक्तियों के बल पर तेरापंथ आज सूर्य के समान चमक रहा है। 'शासन कल्पतरु' गीत की स्वर-लहरियों ने सभा को भक्तिभाव में सराबोर कर दिया।