आत्म कल्याण के लिए सर्वोत्तम समय है चातुर्मास

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बायतु।

आत्म कल्याण के लिए सर्वोत्तम समय है चातुर्मास

आचार्य महाश्रमण की विदुषी सुशिष्या 'शासनश्री' साध्वी जिनरेखाजी ठाणा-5 का स्थानीय तेरापंथ भवन में चातुर्मास के लिए मंगल प्रवेश हुआ। प्रवेश रैली के रूप में नाहटा भवन, चवा रोड से मेन बाजार, तुलसी मार्केट होते हुए महाप्रज्ञ मार्ग स्थित तेरापंथ भवन तक रैली निकाली गई, जो सभा में परिवर्तित हुई। इस अवसर पर 'शासनश्री' साध्वी जिनरेखा ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति तपोमय संस्कृति रही है। अहिंसा, सत्य, सहिष्णुता और भाईचारा इसके प्राण तत्व हैं, और इसी संस्कृति के संवाहक होते हैं संत, जो स्वयं की साधना के साथ-साथ मानव कल्याण के लिए प्रयासरत रहते हैं।
साध्वी श्वेतप्रभाजी ने कहा कि चातुर्मास सुषुप्त चेतना को जागृत करने का समय है और सभी को इस अमूल्य समय का लाभ लेना चाहिए। साध्वी धवलप्रभाजी ने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि हमें तेरापंथ धर्मसंघ मिला और गुरु कृपा से अपनी मातृभूमि में चौमासा करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। साध्वी मार्दवयशाजी ने अपनी कर्मभूमि पर सभी aसमाज को चातुर्मास में सक्रियता से भाग लेने की प्रेरणा दी। राकेश जैन, सम्पत बालड़, रमेश चोपड़ा, अमृत बालड़, मनोज चोपड़ा, महिला मंडल अध्यक्ष कविता भंसाली, महिला मंडल मंत्री (बालोतरा) रेखा बालड़, बायतु सरपंच गोमाराम पोटलिया, मदन बालड़, नरेश वडेरा, व्याख्याता लुंभा राम (भीमड़ा) सहित ज्ञानशाला के बच्चों, कन्यामंडल एवं महिला मंडल ने भाषण, गीत, कविता, नाट्य आदि प्रस्तुत किए। आभार ज्ञापन सभा अध्यक्ष राकेश जैन ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रज्ञा जैन ने किया।