चातुर्मासिक प्रवेश पर स्वागत कार्यक्रम

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मदुरै।

चातुर्मासिक प्रवेश पर स्वागत कार्यक्रम

स्थानीय तेरापंथ सभा भवन, में ज्ञानशाला के नन्हे विद्यार्थियों और कन्या मंडल ने आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि हिमांशु कुमार जी एवं मुनि हेमंत कुमार जी का भावपूर्ण स्वागत एवं अभिनंदन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ छोटे बच्चों के मंगलाचरण से हुआ, तत्पश्चात बड़े बच्चों ने संगीत उपकरणों के माध्यम से मुनिद्वय का भावभीना स्वागत किया। इसके पश्चात प्रस्तुत की गई प्रेरणादायक लघु नाटिका में रोजाना प्रवचन में भाग लेने, जूठा नहीं छोड़ने, रात्रिभोजन का त्याग, जमीकंद त्याग जैसे जैन जीवन मूल्यों को सहजता और सुंदरता से प्रस्तुत किया गया।
मदुरै कन्या मंडल द्वारा 'आज की पीढ़ी के बच्चे कूल दिखने के लिए अपने डिवोशनल वैल्यू से दूर जा रहे हैं' विषय पर आधारित लघु नाटिका प्रस्तुत की गई, जिसमें यह दर्शाया गया कि मुनिश्री के दर्शन के बाद उनकी सोच में परिवर्तन आया और वे छोटे-छोटे प्रयासों से अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। मुनि हिमांशु कुमार जी ने तपस्या विषय पर प्रेरणादायक शैली में मार्गदर्शन देते हुए कहा कि बड़ी तपस्याओं से पहले छोटी-छोटी तपस्याएं अपनानी चाहिए। संयम की मुद्रा और व्यावहारिक उपायों द्वारा भी आत्मिक प्रगति संभव है। इस चातुर्मास में प्रत्येक श्रावक-श्राविका को कोई न कोई तपस्या का संकल्प अवश्य लेना चाहिए।
मुनि हेमंत कुमार जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि श्रावक जीवन एक आदर्श होता है — वह दर्पण के समान होता है, जैसा है वैसा ही दिखाई देता है। सत्य, अनुशासन और नैतिक आचरण उसके जीवन के आधार होने चाहिए। कार्यक्रम की शुरुआत कन्या मंडल प्रभारी लता कोठारी द्वारा की गई और नाटिका का कुशल संचालन भावना पारख ने किया। कार्यक्रम का कुशल संयोजन ज्ञानशाला संयोजिका बबीता लोढ़ा एवं प्रशिक्षिका मधु पारख द्वारा किया गया। आयोजन में सभी प्रशिक्षकों का सहयोग उल्लेखनीय रहा।