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आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन
आचार्य श्री भिक्षु के 300वें जन्म वर्ष के शुभारंभ के अवसर पर साध्वी पुण्ययशाजी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन, राजराजेश्वरी नगर में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। आचार्य भिक्षु के जीवन के मार्मिक प्रसंगों का उल्लेख करते हुए साध्वी पुण्ययशाजी ने कहा— 'विचक्षण बुद्धि, अडोल धैर्य एवं असीम आचारनिष्ठा का नाम है – आचार्य भिक्षु। वे एक विलक्षण और उच्चकोटि के संत थे। उनकी उत्कृष्टता का मूल कारण था आचार और विचार विषयक विशुद्धि की पूर्ण जागरूकता। तेरापंथ केवल उनका पोर्टफोलियो नहीं था, वह उनके प्राणतत्त्व के समान था। आचार्य भिक्षु के अशेष बलिदान ने तेरापंथ को युगों-युगों तक अमर बना दिया।'
त्रिशताब्दी वर्ष के उपलक्ष में साध्वीश्री की प्रेरणा से प्रवचन के दौरान भाई-बहनों ने 300 सामायिक कर इस आयोजन को रचनात्मकता प्रदान की। साध्वीश्री के सान्निध्य में तेरह कोटि जाप के साथ त्रिशताब्दी वर्ष का शुभारंभ हुआ। सामूहिक रूप से सवा लाख जाप अनुष्ठान सम्पन्न हुआ, जिसमें 'श्री भिक्षु नमो नमः' का उच्चारण हुआ। इस अवसर पर विविध प्रकार के त्याग-प्रत्याख्यान भी करवाए गए। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्री द्वारा महामंत्र के उच्चारण से हुआ। साध्वी विनीतयशाजी, साध्वी वर्धमानयशाजी एवं साध्वी बोधिप्रभाजी ने 'भिक्षु म्हारे प्रगट्या जी' गीतिका के माध्यम से मंगलाचरण प्रस्तुत किया। इस अवसर पर अहमदाबाद में विराजित आचार्य श्री महाश्रमणजी के मंगल उद्बोधन का सीधा प्रसारण भी किया गया, जिसे उपस्थित श्रावक समाज ने श्रद्धा सहित श्रवण किया। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष राकेश छाजेड़ ने सभी का स्वागत किया। युवक परिषद द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। सामायिक ग्रुप की बहनों द्वारा 'भिक्षु अष्टकम' का सामूहिक संगान किया गया। आचार्य भिक्षु की अभिनव सम्पदाओं को तेरापंथ महिला मंडल द्वारा एक रोचक प्रस्तुति के रूप में प्रस्तुत किया गया। मंच का कुशल संचालन साध्वी वर्धमानयशाजी ने किया।