बाट निहारा म्हें

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साध्वी कुसुमलता

बाट निहारा म्हें

आओ भिक्षु भगवान बाट निहारा म्हें,
थाने करां अर्पित तन मन प्राण। बाट निहारा म्हें…
हो मन मन्दिर रा देवता म्हारा सफल करो अरमान।।
गृहस्थाश्रम री बातां, सुणतां बीते रातां।
प्रखर प्रतिभा 'पटुता' सरावां हो भिक्षु थारी-2
बचपन में वैराग, धारयो हो थे महाभाग।
दीपां मां की दृढ़ता बतावां हो दीपां-2
हो… मान बात रघुनाथ जी री दियो पुत्र रो दान।।
अन्तेवाली बण्या सूत्र सिद्धान्त भण्या
पायो पूरो विश्वास गुरूवर रो। पायो-2
अतः राजनगर, सन्ता सह प्रवर।
भेज्या चौमासो करने सनूरो। हो भेज्या-2
शरावक गण समझावतां थांने मिल गयो तत्व महान।।
सफल बण्यो चौमास, लेकर आया ये आश
जाकर नम्र निवेदन करस्यां हो गुरू-2
श्रावक सारा साचा, आयां ही हां थाचा
साक्षी सिद्धान्त री देस्यां हो-2
हो… आकर वातावरण देस्यो उलटो सहयो अपमान।।
आखिर समझ्या नहीं राह पाई नई।
आंतम शुद्धि रो लक्ष्य बणायो हो आतम- 2
नहीं कष्टां रो पार, लाग्या घणां ही लार
आतम बल ने खूब हटायो हो-2
करयो पसीनो खून रो थाने धन्य-धन्य महाप्राण।।
तेरापंथ रो महल, अनकल्पित सहल।
बण गयो सत्य री महिमा गावां हो-2
मर्यादाएं वणी, नींव गहरी घणी।
झंझावतां मैं भय नहीं खावां हो-2
हो… आभारी रहस्यां सदा म्हाने मिल्यो पंथ अम्लान।।
नन्दन वन रा रखवाला महाश्रमण आला,
सारो संघ आनन्द मनावै हो-2
शुभाशीष मिले, उपवन फूले फले विस्तार ले।
भिक्षु चेतना वर्ष मनावै-2
शत् शत् वन्दन विनय युत् स्वीकृत हो हे जगत्राण।।
लय - हिवडे़ स्यू दूर मति