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आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन
तेरापंथ धर्मसंघ के आद्य प्रवर्तक आचार्य भिक्षु की 300वीं जन्म जयंती के उपलक्ष्य में पूर्वी दिल्ली के शाहदरा क्षेत्र में गरिमामय समारोह का आयोजन किया गया। मेसिना बैंक्विट हॉल में संपन्न इस भव्य आयोजन में श्रद्धा, विचार और अनुशासन का त्रिवेणी संगम देखने को मिला। इस अवसर पर बहुश्रुत मुनि उदितकुमार जी ने आचार्य भिक्षु के जीवन-दर्शन, सम्यक दृष्टिकोण, तप-साधना और संतुलित जीवन शैली के सूत्रों को आधुनिक संदर्भों में प्रस्तुत करते हुए कहा— 'आचार्य भिक्षु का चिंतन आज भी हमारी जीवन दिशा को स्पष्ट करता है। उन्होंने जो आदर्श प्रस्तुत किए, वे केवल उस युग तक सीमित नहीं हैं, बल्कि आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।' मुनिश्री ने यह भी कहा कि उनका जीवन हमें साधना, तप और सेवा के महत्व को समझाता है। मुनि अभिजीतकुमार जी ने सभी श्रद्धालुओं से आचार्य भिक्षु के सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारने का आह्वान किया। वहीं, मुनि जागृतकुमार जी ने ध्यान प्रयोग कराए। कार्यक्रम का प्रारंभ मुनि रम्यकुमार जी द्वारा 'भिक्षु म्हारे प्रगट्या जी' गीत के संगान से हुआ। कार्यक्रम में जैन श्वेतांबर तेरापंथ सभा शाहदरा के अध्यक्ष राजेंद्र सिंघी, तेरापंथी महासभा के उपाध्यक्ष संजय खटेड़, आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति दिल्ली के अध्यक्ष कन्हैयालाल पटावरी, विकास परिषद के संयोजक मांगीलाल सेठिया एवं अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की चीफ ट्रस्टी पुष्पा बैंगानी आदि ने अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किए। ज्ञानशाला से हर्ष नाहटा एवं मुस्कान नाहटा ने भावपूर्ण गीत प्रस्तुत किया। साथ ही, जैन श्वेतांबर तेरापंथ सभा दिल्ली की ओर से सामूहिक गीत प्रस्तुति दी गई। अंत में बाबूलाल दुगड़ ने सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रमोद घोड़ावत ने किया।