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आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन
मुनि जिनेश कुमारजी के सान्निध्य में 266वां तेरापंथ स्थापना दिवस जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा (कलकत्ता पूर्वांचल) ट्रस्ट द्वारा भिक्षु विहार, डिविनिटी पवेलियन में तप, जप एवं हर्षोल्लासपूर्वक आयोजित किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित थे। मुनि जिनेश कुमारजी ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा—तेरापंथ के संस्थापक आचार्य भिक्षु का ध्येय संगठन बनाना नहीं था, किन्तु वे आध्यात्मिक क्रांति के पथ पर बढ़ते गए, कारवां स्वतः बनता गया और तेरापंथ जैसे सुदृढ़ धर्मसंघ का निर्माण हो गया।
विक्रम संवत 1817, आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन भावदीक्षा के साथ राजस्थान के केलवा में तेरापंथ की स्थापना हुई। आचार्यश्री भिक्षु चेतना के चतुर प्रहरी थे। वे चंचलता की चौखट पर चोट करने वाले थे। शिथिलता के स्वप्न को संयम के शीतल छींटों से तिरोहित कर देते थे। वे असत्य के खिलाफ आवाज उठाते थे और सत्य के सबल संपोषक व समर्थक थे। इस अवसर पर मुनि परमानन्दजी ने कहा—तेरापंथ की स्थापना के पीछे त्याग और बलिदानों की अमर कहानी है। मुनि कुणाल कुमारजी ने सुमधुर गीतिका का संगान किया। समारोह के प्रारंभ में महिला मंडल ने मंगलाचरण किया। पूर्वांचल तेरापंथी सभा अध्यक्ष संजय सिंघी, महिला मंडल अध्यक्षा बबीता तातेड़ ने भी अपने विचार रखे। आभार ज्ञापन सभा मंत्री पंकज डोसी ने किया तथा समारोह का कुशल संचालन मुनि परमानन्दजी ने किया।