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आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन
'शासनश्री' साध्वी सत्यवतीजी के सान्निध्य में आचार्य भिक्षु के 300वें जन्मदिवस, आषाढ़ सुदी चौदस एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के अवसर पर विशेष समायोजन किया गया। साध्वी रोशनीप्रभा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महामना आचार्य भिक्षु प्रमोद भावना एवं सकारात्मक सोच के संवाहक थे। साध्वी शशिप्रज्ञा जी ने गीतिका के माध्यम से भावों की प्रस्तुति दी और साध्वी पुण्यदर्शना जी ने प्रेरक प्रसंगों द्वारा आचार्य भिक्षु के सिद्धांतों को उजागर किया। 'शासनश्री' साध्वी सत्यवती जी ने कहा — भिक्षु नाम में अपार शक्ति है। इस नाम का स्मरण मात्र ही समस्याओं का समाधान बन जाता है। चौदस की हाज़री का वाचन करते हुए मर्यादा और अनुशासन के प्रति सजगता का संदेश दिया गया। तेरापंथ स्थापना दिवस के अवसर पर साध्वी रोशनी प्रभा जी ने गीतिका द्वारा भावाभिव्यक्ति दी। साध्वी शशि प्रज्ञा जी ने कहा — जो व्यक्ति गण के प्रति शिथिल हो जाता है, वह जीवन के हर पड़ाव में अवरोध का अनुभव करता है। 'शासनश्री' साध्वी सत्यवती जी ने अपने संदेश में कहा — यह संघ, आचार्य भिक्षु का प्रसाद है, जिन्होंने अनुशासन रूपी वटवृक्ष की स्थापना की, और आज वर्तमान आचार्य प्रवर के शासन में यह सतत विकास की ओर अग्रसर है। आस्था से गूंजते इस आयोजन में सभा अध्यक्ष सुरेश जीरावला, ममता तातेड़ एवं शालू तातेड़ ने गीतिका द्वारा भावपूर्ण प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ युवक परिषद के मंगलाचरण से हुआ। कुशल संचालन नरेंद्र सेठिया एवं साध्वी रोशनी प्रभा जी द्वारा किया गया।