आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन

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टोहाना

आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन

समणी जयंतप्रज्ञा जी के सान्निध्य में स्थानीय तेरापंथ भवन में 266वें तेरापंथ स्थापना दिवस का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ समणीजी ने नवकार महामंत्र के उच्चारण से किया। इसके पश्चात सभा अध्यक्ष विजय कुमार जैन तथा वरिष्ठ श्राविका सुमन जैन ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। इस अवसर पर तेरापंथ सभा के मंत्री सुभाष जैन ने तेरापंथ स्थापना दिवस के संदर्भ में अपने उद्गार प्रकट किए। समणी जयंत प्रज्ञा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा सौभाग्य है कि हमें तेरापंथ धर्मसंघ प्राप्त हुआ। तेरापंथ धर्म के विकास और विस्तार में श्रद्धा, निष्ठा और विनय की मुख्य भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन और सम्यक चारित्र — ये तेरापंथ के त्रिदेव हैं। इसी प्रकार आचार, विचार और अनुशासन — ये तेरापंथ के प्राण हैं। उन्होंने कहा कि आचार्य भिक्षु को सत्यमार्ग पर चलने के लिए अनेक संघर्षों और चुनौतियों का सामना करना पड़ा, और इन्हीं संघर्षों ने तेरापंथ को नई गति प्रदान की। समणी सन्मतिप्रज्ञा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हर नई शुरुआत के पीछे कोई विशेष प्रेरणा होती है। तेरापंथ की स्थापना के पीछे धर्म क्रांति, सत्य क्रांति और मर्यादाओं की रक्षा मुख्य कारण थे। आचार्य भिक्षु के गहन ज्ञान एवं आगम के क्षेत्र में योगदान ने ही तेरापंथ के उदय का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने गहन साधना के माध्यम से आत्मा और चेतना का विकास किया और सहज रूप में तेरापंथ धर्मसंघ की स्थापना हुई। समणी वृंद द्वारा इस अवसर पर एक सुमधुर गीतिका का संगान किया गया। कार्यक्रम के अंत में 'संघ गान' का भी संगान किया गया।