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आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष, वर्षावास स्थापना एवं तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विविध आयोजन
तेरापंथ भवन में आचार्य श्री भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष का भव्य शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर मुनि हिमांशु कुमार जी ने आचार्य श्री भिक्षु के जीवन आदर्शों और आध्यात्मिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। मुनिश्री ने उनके जीवन के कुछ विशिष्ट पहलुओं को रेखांकित करते हुए कहा— सम्यक्त्व की भावना से उन्होंने सूक्ष्म सत्य को जानने की गहन साधना की। उन्होंने भौतिक इच्छाओं से रहित जीवन जिया। वे उच्च कोटि के योगी थे, जिनकी साधना योगवाहिता का उत्कृष्ट उदाहरण है। मुनिश्री ने आह्वान किया कि आज के भौतिक युग में आचार्य भिक्षु जैसे आध्यात्मिक पुरुष के जीवन से प्रेरणा लेकर हमें आत्मोन्नति की ओर अग्रसर होना चाहिए। मुनि हेमंत कुमार जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु एक सत्यनिष्ठ साधक थे, जो जीवन में सत्य को आत्मसात करने का सतत प्रयास करते रहे। उनका कषाय उपशांत था और उनका व्यवहार अत्यंत विनम्र था। वे आत्मनिष्ठ योगी थे – जिन्होंने आत्मा के विकास को ही अपना लक्ष्य बनाया।