कल्प विद्या अनुष्ठान का आयोजन

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गुवाहाटी।

कल्प विद्या अनुष्ठान का आयोजन

मुनि डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार जी एवं मुनि रमेश कुमार जी के सान्निध्य में तथा तेरापंथी सभा, गुवाहाटी के तत्वावधान में तेरापंथ धर्मस्थल में सक्कथुई (णमोत्थुणं) कल्प विद्या अनुष्ठान का आयोजन किया गया। इस अनुष्ठान में सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया और मंत्रों का सस्वर जाप किया। मुनि डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आत्मशुद्धि और भावशुद्धि जप के मूल लक्ष्य हैं। यह मंत्र जाप मनोबल बढ़ाने, रोग निवारण और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावकारी है। उन्होंने उपस्थित जनसमूह से यह भावना प्रकट करवाई —'मेरी साधना सफल हो, मेरे अशुभ कर्मों का क्षय हो, मेरे शुभ कर्मों का उदय हो, मैं साधना आत्मशुद्धि के लिए जप कर रहा हूँ।' इन भावनाओं का तीन-तीन बार उच्चारण करवाने के पश्चात उन्होंने लगभग दो घंटे तक संपूर्ण बीज मंत्रों का सस्वर पाठ करवाया।
मुनि रमेश कुमार जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि जप का जीवन में अत्यंत महत्व है। इससे मन एकाग्र होता है और बड़े से बड़े कार्य संभव हो सकते हैं। जप-तप की आराधना से आध्यात्मिक जीवन का विकास होता है तथा समस्त विघ्न-बाधाएँ दूर होती हैं। उन्होंने कहा कि णमोत्थुणं एक जैन स्तोत्र है। यह उस समय का स्मरण कराता है जब शक्रेन्द्र तीर्थंकरों के कल्याणक के अवसर पर अपने आसन से उठकर वंदना करता है, इसलिए इसे शक्र स्तुति भी कहा जाता है। सभा अध्यक्ष बाबूलाल सुराणा एवं मंत्री राजकुमार बैद ने इस आयोजन में 700 से अधिक श्रावक-श्राविकाओं एवं समाजबंधुओं की सहभागिता के लिए सभी को साधुवाद प्रेषित किया।