संकल्प बल एवं आत्मबल से ही होती है तपस्याएं

संस्थाएं

बीदासर।

संकल्प बल एवं आत्मबल से ही होती है तपस्याएं

साध्वी मंजुयशा जी के सान्निध्य में 2 पचरंगी की तपस्या सानन्द सम्पन्न हुई। इस तपस्या में 55 भाई-बहनों ने बड़े उत्साह से भाग लिया। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा बीदासर की ओर से तपस्वियों का तप अभिनंदन कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम का प्रारम्भ साध्वी मानसप्रभा जी के मंगल गीत से हुआ। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष संपतमल बैद ने सभी तपस्वियों के प्रति हार्दिक मंगलकामना एवं तप की अनुमोदना की। साध्वी मंजुयशाजी ने तपस्या की अनुमोदना करते हुए अपने वक्तव्य में कहा— बीदासर की भूमि वीर भूमि है, तपोभूमि है। यहां कण-कण में शौर्य भरा हुआ है, साहस भरा हुआ है। यह मघवागणी की जन्मभूमि है, इसे तपोभूमि भी कहते हैं। आज पचरंगी तप सानन्द सम्पन्न होने जा रहा है। भाई-बहनों का उत्साह क़ाबिले तारीफ़ है। तेरापंथ सभा, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद, कन्यामंडल, अणुव्रत समिति, ज्ञानशाला आदि के वृद्धों से लेकर बच्चों तक सभी ने इसमें भाग लेकर इस पचरंगी तप को पूर्ण सफल बनाया। उन्होंने सबके उत्साह को बढ़ाते हुए सबको तप में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
'शासनश्री' साध्वी अमितप्रभा जी ने कहा— हमारी आत्मा में अनंत शक्ति है, अनंत आनंद है, अनंत ऊर्जा है; परंतु उसे जागृत करने की अपेक्षा है। हर भाई-बहन अपनी संकल्प शक्ति, आत्मशक्ति को जगाए और अधिक से अधिक आध्यात्मिक आराधना के साथ यथाशक्ति तप की आराधना कर कर्मों की निर्जरा करें। इस अवसर पर साध्वी वीरप्रभा जी ने तपस्या के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए तपस्वियों के प्रति हार्दिक अनुमोदना की। तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष पारस वैद, नवदीप बैगानी, चिराग बैगानी; तेरापंथ महिला मंडल की मंत्री सीमा दुगड़, पूर्व मंत्री भावना दुगड़; अणुव्रत समिति के पूर्व अध्यक्ष महावीर वैद; साध्वी विमलप्रभा जी आदि सभी ने गीत, मुक्तक, कविता व भाषण के द्वारा अपने-अपने भावों की अभिव्यक्ति दी।
इस तपस्या में ज्ञानशाला के बच्चे— माही बैगानी (9 वर्ष), सुश्री राशि वैद (12 वर्ष), रिशिका बाईनिया (13 वर्ष) एवं अनंत दुगड़ (12 वर्ष) — इतनी छोटी उम्र में भी दृढ़ संकल्प के साथ तपस्या में सहयोजी बने। साध्वीश्री जी ने कहा— जहां गुरु की कृपा होती है, उनके शुभ आशीर्वाद से ही हर कार्य पूर्ण सफलता पूर्वक सानन्द सम्पन्न होता है। साध्वीश्री जी ने संघीय उदाहरण देकर बड़ी सरलता से गुरु का महत्व एवं तप का महत्व बताया। साध्वी स्तुतिप्रभा जी ने अपने मधुर गीत से पूरी धर्म परिषद को मंत्रमुग्ध कर दिया। साध्वी समूह ने प्रेरणादायी अनुमोदन गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी चिन्मयप्रभा जी ने किया। भाई-बहनों की उपस्थिति सराहनीय रही। मंगलपाठ से कार्यक्रम सानन्द सम्पन्न हुआ।