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कन्या प्रशिक्षण शिविर का आयोजन
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि जिनेशकुमार जी (ठाणा-3) के सान्निध्य में तेरापंथ महिला मंडल (पूर्वांचल) द्वारा भिक्षु विहार में कन्या प्रशिक्षण शिविर का सफल आयोजन किया गया। शिविर का विषय था — 'Scientific Aspects of Jain Dharma' (जैन धर्म के वैज्ञानिक पहलू)। इस शिविर में पूर्वांचल कोलकाता, साउथ कोलकाता, साउथ हावड़ा एवं उत्तर हावड़ा क्षेत्रों की कुल 41 कन्याओं ने भाग लिया। शिविर दो सत्रों में आयोजित हुआ।
प्रथम सत्र में शिविरार्थी कन्याओं को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेशकुमार जी ने कहा — 'भारतीय समाज में कन्याएं पवित्रता का प्रतीक होती हैं। वे समाज के भविष्य की आधारशिला हैं और त्याग की प्रतिमूर्ति भी। यदि कन्याएं संस्कारी हों, तो पूरा परिवार संस्कारित हो जाता है। जहाँ एक पुत्र एक घर को प्रभावित करता है, वहीं एक पुत्री दो घरों को संवारती है।' उन्होंने आगे कहा, 'जैन धर्म महान है। हम जैन हैं, इसलिए जैन धर्म का अध्ययन आवश्यक है। यह विजेताओं का धर्म है। इसके मूल सिद्धांत— अहिंसा, अनेकांत और अपरिग्रह—अत्यंत वैज्ञानिक हैं। जैन धर्म एक दुर्लभ एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाला धर्म है। कन्याओं को चाहिए कि वे विलासिता से दूर रहें, सात्विक एवं शालीन जीवन जीएं तथा अपने चरित्र को उज्ज्वल बनाएँ।' '
मुनि श्री परमानंद जी ने इस अवसर पर कहा — 'राग-द्वेष पर विजय पाने वाले को 'जिन' कहा जाता है, और जो जिन द्वारा बताए गए मार्ग पर चलता है, वही 'जैन' कहलाता है। कन्याओं को जैन धर्म की मूलभूत जानकारी अवश्य होनी चाहिए।' कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ कन्या मंडल (पूर्वांचल) के मंगलाचरण से हुआ।
स्वागत भाषण संयोजिका सुश्री मोनिका भादानी ने दिया। पूर्वांचल कन्या मंडल द्वारा एक शिक्षाप्रद नाटिका की प्रस्तुति भी दी गई। द्वितीय सत्र में मुख्य वक्ता डॉ. लावण्या कोठारी एवं पूर्व संयोजिका दीक्षा पटावरी ने 'जैन धर्म और विज्ञान' के संदर्भ में उपयोगी प्रशिक्षण प्रदान किया। इस अवसर पर ईस्ट ज़ोन कन्वीनर जागृति चौरड़िया एवं अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की सदस्या दिव्या नाहटा ने कन्या मंडल की गतिविधियों व उद्देश्य के संबंध में जानकारी साझा की। सह-संयोजिका खुशबू सुराणा ने आभार ज्ञापन किया तथा कार्यक्रम का संचालन महिला मंडल मंत्री नीता बोथरा ने किया।