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युवती प्रशिक्षण शिविर का आयोजन
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि जिनेशकुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ महिला मंडल पूर्वांचल द्वारा भिक्षु विहार में युवती प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 60 युवतियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। शिविर में संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेशकुमार जी ने कहा – विश्व के 12 ख्यात धर्मों में से एक धर्म है जैन धर्म। जैन धर्म विजेताओं का धर्म है। राग-द्वेष के विजेता को ‘जिन’ कहते हैं, और जिनके द्वारा प्रतिपादित धर्म को जैन धर्म कहा जाता है। जैन धर्म जीने की कला सिखाता है। जीवन में संतुलन आवश्यक है, क्योंकि संतुलन के बिना जीवन का रहस्य समझ में नहीं आता। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन, जिनशासन और तेरापंथ धर्मसंघ पाकर हमें इसे सफल बनाने के लिए त्याग की चेतना आवश्यक है। आडंबर, प्रदर्शन और दिखावे से दूर रहना चाहिए तथा देव, गुरु और धर्म के प्रति आस्था रखनी चाहिए। प्रवचन श्रवण और स्वाध्याय से ही जीवन का रहस्य समझ में आता है।
इस अवसर पर मुनि परमानंद जी ने कहा – जीवन में संतुलन के लिए जैन धर्म के सिद्धांतों को समझकर उन्हें अपनाने का प्रयास करना चाहिए। कार्यक्रम का शुभारंभ काकुडगाछी की युवती बहनों के मंगलाचरण से हुआ। स्वागत वक्तव्य पूर्व अध्यक्षा श्वेता डाकलिया ने दिया। लेकटाउन जूनियर गोष्ठी की बहनों द्वारा शिक्षाप्रद लघु नाटिका प्रस्तुत की गई। संचालन एवं अंत में आभार ज्ञापन मंत्री नीता बोथरा ने किया।