
रचनाएं
जीवन को सफल बनाया
अनशन की खुशबू फैली, आध्यात्मिक जीवन शैली।
'शासनश्री' बिदामांजी की, दृढ़ता थी बड़ी निराली।
जीवन को सफल बनाया है, आत्मा को चमकाया है।।
1. दुर्लभ मानव जीवन है, वीर प्रभु ने गाया,
भव से नैय्या पार करने, देह को साधन बताया।
अन्तर शक्ति को जगाया, संयम सौरभ से महकाया,
ज्ञान की ज्योति जलाकर, रोम-रोम हरसाया ।।
2. सुदीर्घजीवी बनकर तुमने, कीर्तिमान बनाया,
समता, श्रमता, ममता से आत्म दीप जलाया।
भिक्षु-भिक्षु तुम रटती, भिक्षुमय बन जाती,
भिक्षु की मूरत को ध्याया, सांसों में उसे बसाया ।।
3. देव, गुरु, धर्म का शरणा है, मुख से हरपल कहती,
समता और शान्त भाव से, तन की वेदना को सहती।
मुस्कुराता था चेहरा, गुरु से था नाता गहरा,
भावों की श्रेणी चढ़कर, लक्षित मंजिल को पाया ।।
4. भैक्षव शासन में तुमने, नव इतिहास बनाया,
श्रद्धा, समर्पण भावों से, संघ में नाम कमाया।
हद हिम्मत तुमने धारी, जाते हैं सब बलिहारी,
तेरापंथ संघ चमन को, गुण सुमनों से महकाया ।।
लय - सूरज कब दूर