
रचनाएं
सतिवर हिम्मत धारी
सुदीर्घजीवी साध्वी बिदाम ने जीवन नैया तारी।
सतिवर हिम्मत धारी, जावां बार-बार बलिहारी।।
1. सरेवड़ी के चावत कुल में, जन्म लिया सुखकारी,
ग्राम पींपली के दक कुल की, बन गयी बहुवर प्यारी।
भैक्षव गण में तुलसी गुरु से, संयम श्री स्वीकारी।।
2. मेवाड़ी मीरा सम रहती, भक्ति में मतवाली,
इतिहास रचा सुदीर्घजीविता, का गण में गौरवशाली।
वत्सलता की मूरत लगती, शांत, सौम्य मनुहारी।।
3. मंगलमय हो जीवन थांरो, अनशन रो कलश चढायो,
चौरासी वर्षां रो संयम, जीवन सफल बणायो।
सावण शुक्ला एकम दिवसे, प्रस्थान किया मनहारी।।
4. बैंगलूर, हैदराबाद और सूरत स्यूं चल कर आया,
पोता, पड़पोता, जेठूता, भतीजों का परिकर हर्षाया।
मौके का सब लाभ उठाया, खिल गयी अन्तर क्यारी।।
5. कालू में इतिहास रचाया, धन्य बनी यह धरती,
युगों-युगों तक यादें तेरी, जन-जन रहेगी करती।
सहज सरल सूरत तेरी, लगती प्यारी - प्यारी।।
लय - संयममय जीवन हो