जप-अनुष्ठान है हमारी प्राण ऊर्जा का संवर्धन करने वाला

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बालोतरा।

जप-अनुष्ठान है हमारी प्राण ऊर्जा का संवर्धन करने वाला

साध्वी अणिमाश्री जी के सान्निध्य में नए तेरापंथ भवन के विशाल हॉल में, विशाल उपस्थिति में पंचगढ़ी पंचपरमेष्ठी आत्मरक्षा कवच अनुष्ठान का भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ। साध्वीश्री ने अपने उद्बोधन में कहा, जैन साधना पद्धति में आत्मा की उपासना के अनेक आयाम हैं। उनमें एक है जप अनुष्ठान। जप में तन्मय बनकर व्यक्ति अपनी आत्मा का दर्शन कर सकता है। जप के द्वारा आत्मा की उज्ज्वला वृद्धिंगत होती है। जप प्राण ऊर्जा का भी संवर्धन करने वाला है। जब जप अनुष्ठान का रूप ले लेता है, तो जप की शक्ति शतगुणित हो जाती है। पंचपरमेष्ठी में अनंत शक्ति निहित है। उस शक्ति का देशांश हमारे जीवन का कायाकल्प कर सकता है। पंचपरमेष्ठी ऊर्जा का अक्षय स्रोत है, जिनकी आराधना से हम भी ऊर्जा के महापुंज बन सकते हैं। पंचपरमेष्ठी का तन्मयता से किया जाने वाला अनुष्ठान शरीर की सुरक्षा तो करता ही है, आत्मा के लिए भी सुरक्षा कवच का निर्माण करता है।
साध्वीश्री ने पांच धागों पर पंचपरमेष्ठी का विशेष अनुष्ठान करवाया। आत्मा को भीतर तक झकझोरने वाले इस अनुष्ठान को करके पूरी परिषद रोमांचित एवं भावविभोर हो गई। डॉ. साध्वी सुधाप्रभा जी ने कहा, ये वो अनुष्ठान है, जो आपके जीवन में खुशहाली ला सकता है, रिश्तों में समरसता ला सकता है एवं नकारात्मक शक्तियों से आपका बचाव कर सकता है। इससे पूर्व साध्वी कर्णिकाश्री जी, डॉ. साध्वी सुधाप्रभा जी, साध्वी समतवयशा जी, साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने महामंत्र गीत के द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ किया।