आदर्श श्रावक बनने के लिए तत्वज्ञान का होना आवश्यक

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टोहाना।

आदर्श श्रावक बनने के लिए तत्वज्ञान का होना आवश्यक

स्थानीय तेरापंथ भवन में समणी जयंतप्रज्ञा जी के प्रति मंगल भावना कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर समणी सन्मति प्रज्ञा जी ने कहा कि टोहाना क्षेत्र सेवा-भावना से ओतप्रोत और उच्च कोटि का क्षेत्र है। यहाँ श्रद्धा और भक्ति नस-नस में प्रवाहित होती है। परंतु एक आदर्श श्रावक बनने के लिए तत्वज्ञान का होना आवश्यक है। उन्होंने श्रावक समाज से कहा कि धर्मसंघ को मजबूत बनाने के लिए पारस्परिक प्रेम और प्रमोद भावना का विकास अनिवार्य है। साथ ही अपने दायित्व का चिंतन कर उसका निर्वहन करना चाहिए। समणी जयंतप्रज्ञा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यदि हमें आनंदपूर्वक जीवन जीना है, तो तीन नियम अनिवार्य हैं – कहना सीखो, रहना सीखो और सहना सीखो।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार बर्तन साफ करते समय उसे भीतर से अधिक स्वच्छ किया जाता है और बाहर से अपेक्षाकृत कम, उसी प्रकार हमें आत्मा की शुद्धि पर अधिक ध्यान देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सहनशीलता श्रावक का एक उत्कृष्ट गुण है, और सहनशीलता के बिना मानव कल्याण संभव नहीं है। इस अवसर पर श्रावक समाज द्वारा समणी वृंद के प्रति मंगल भावना व्यक्त की गई और गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी एवं समणी जी का आभार प्रकट किया गया। कार्यक्रम में तेरापंथ सभा मंत्री सुभाष जैन, सुमन जैन, अंजू जैन, रजनी जैन, प्रान्तीय सभा महामंत्री अमित जैन, कृष्णा जैन, उषा जैन, महिला मंडल अध्यक्षा आरती जैन, सुशील जैन, सुभाष जैन (साबुन वाले) एवं तेयुप प्रधान संजय जैन ने भी अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं और मंगल भावना प्रकट की। कार्यक्रम का कुशल संचालन सभा मंत्री सुभाष जैन ने किया।