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ज्ञानशाला दिवस पर पारिवारिक सम्मेलन आयोजित
साध्वी अणिमाश्री जी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में ज्ञानशाला दिवस पर पारिवारिक सम्मेलन आयोजित हुआ। साध्वीश्री ने कहा कि परिवार वह आशियाना है, जहां तीन पीढ़ियां एक साथ रहती हैं। परिवार वह संगम है, जहां बच्चे, बुज़ुर्ग और युवा एक-दूसरे की परवाह करते हैं। परिवार बच्चों के लिए झूला, युवाओं के लिए क्रीड़ास्थली और बुज़ुर्गों के लिए शरणस्थली है। उन्होंने बच्चों से कहा कि आपका जीवन सफेद कागज़ की तरह है। यदि आप उस पर स्वर्णिम चित्र उकेरना चाहते हैं, तो ज्ञानशाला में अवश्य आएं। दादा-दादी और माता-पिता से कहा कि बच्चे आपके जीवन की अमूल्य धरोहर और उज्ज्वल भविष्य हैं। उनका भाग्य संवारना आपके हाथ में है। यदि उन्हें ज्ञानशाला नहीं भेजा गया तो यह गलती जीवनभर खलेगी।
साध्वीश्री ने कहा कि प्रशिक्षिकाएं अपने समय का उपयोग बच्चों के संस्कार निर्माण में कर रही हैं। व्यवस्थापक वर्ग भी सुदृढ़ है। बच्चों की प्रस्तुतियां उनकी प्रतिभा को उजागर कर रही हैं। बच्चों की शानदार प्रस्तुतियां बच्चों की प्रतिभा को उजागर कर रही है। इस कार्यक्रम में दादा दादी मम्मी पापा बच्चें तीन पीढ़ियों ने एक साथ गीत की प्रस्तुति दी जो सबके लिए नवीन व आकर्षक थी।ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों को ज्ञान की अदालक की रोचक व प्रेरक प्रस्तुति देकर सबका मन मोह लिया। प्रशिक्षिकाओं की कव्वाली ने सबको भावविभोर कर दिया। नन्हे-नन्हें बालक बालिकाओं ने अर्हम वंदना की सुंदर प्रस्तुति दी। सभाध्यक्ष महेन्द्र बैद मूथा, ज्ञानशाला के संयोजक मोहन जैन आंचलिक प्रभारी सुरेन्द्र सालेचा ने विचार रखे। संचालन मुख्य प्रशिक्षिका राणी बाफना ने किया। ज्ञानशाला के बच्चों की नव्य प्रस्तुतियां भी रही।