साध्वी बिदामांजी की गुणानुवाद सभा

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सिकंदराबाद।

साध्वी बिदामांजी की गुणानुवाद सभा

साध्वी डॉ. गवेषणाश्री जी के सानिध्य में, तेरापंथ सभा सिकंदराबाद के तत्वावधान में तेरापंथ भवन सिकंदराबाद में तेरापंथ शासन की सुदीर्घजीवि साध्वी श्री बिदामांजी की गुणानुवाद सभा संपन्न हुई। साध्वी बिदामांजी ने 108वें वर्ष में पूर्ण जागरूकता के साथ समाधिपूर्वक देवलोक गमन किया। इस अवसर पर साध्वी डॉ. गवेषणा श्रीजी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भिक्षु शासन में दीक्षित, शिक्षित एवं तीन-तीन आचार्यों द्वारा परीक्षित स्वनाम धन्या "शासनश्री" एवं "सुदीर्घजीवि" साध्वी बिदामांजी वीरभूमि मेवाड़ की वीरांगना थीं। युगप्रधान आचार्य श्री तुलसी के करकमलों से दीक्षित साध्वी बिदामांजी ने चढ़ते यौवन में संयमरत्न को ग्रहण किया। आचारनिष्ठा, संयमनिष्ठा, आज्ञानिष्ठा और गुरुनिष्ठा आपके जीवन का आधार रहीं। तेरापंथ धर्मसंघ में आपने दीर्घसंयम पर्याय और दीर्घजीविता के क्षेत्र में आचार्य श्री महाश्रमणजी के युग में नया इतिहास रचा। लगभग 80 वर्षों तक एक ही समूह में रहकर आपने अपने समर्पण और विनम्रता का अनुपम परिचय दिया। अंत समय में भी संयम पर कलश चढ़ाकर अपनी जीवन यात्रा को धन्य बना दिया।
सभा के दौरान साध्वी मेरुप्रभाजी, साध्वी मयंकप्रभाजी और साध्वी दक्षप्रभाजी ने सामूहिक गीति का द्वारा साध्वी बिदामांजी के जीवन दर्शन प्रस्तुत किया। उपासिका सरलाबाई भूतोडिया, तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष नमिता सिंघी, पूर्व अध्यक्ष चंद्रा सुराणा तथा संसारपक्षीय प्रपौत्र विकास दक ने कविता के माध्यम से अपनी भावांजलि अर्पित की। इस अवसर पर सिकंदराबाद सभा के अध्यक्ष सुशील संचेती ने अपने विचार व्यक्त किए, वहीं शांतिलाल दक ने साध्वीश्री का विस्तृत परिचय प्रस्तुत किया।