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तेज, ओज एवं प्राणऊर्जा का संवर्धन करती है तपस्या
तेरापंथ भवन, बालोतरा में साध्वी अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में तप अनुमोदना का भव्य कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र से हुआ। इस अवसर पर मंजु ओस्तवाल एवं मनीषा गोगड़ ने मासखमण तप तथा मनोज ओस्तवाल ने सिद्धि तप का प्रत्याख्यान किया। साध्वी अणिमाश्रीजी ने उपस्थित जनता को संबोधित करते हुए कहा— “तपस्या संजीवनी बूटी है, जो भवभ्रमण को सीमित करती है। यह तेज, ओज एवं प्राणऊर्जा का संवर्धन करती है और तपस्वी के आभामंडल को तेजोदीप्त बनाती है। चातुर्मास का यह समय तप की पूर्ण ऋतु है और बालोतरा में इसका अनुपम ठाट देखने को मिल रहा है।”
उन्होंने कहा कि चातुर्मास प्रारंभ हुए एक माह भी नहीं हुआ और पहले ही दो मासखमण व एक सिद्धि तप की अनुमोदना का अवसर मिलना गौरवपूर्ण है। पाँचों तपस्वी सिंह राशि के हैं, जिससे तप रूपी सिंह की गर्जना पूरे चातुर्मास में सुनाई देती रहेगी। विशेष रूप से मनोज ओस्तवाल द्वारा सिद्धि तप तथा पुत्र-पुत्री के अट्ठाई तप ने इसे और अनूठा बना दिया। साध्वी कर्णिकाश्रीजी, डॉ. साध्वी सुधाप्रभाजी, साध्वी समत्वयशाजी एवं साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने भावपूर्ण तप अनुमोदना गीत प्रस्तुत किया। साध्वीप्रमुखाश्रीजी का प्रेरणादायी संदेश सभा मंत्री प्रकाश वेदमुथा, तेयुप सहमंत्री प्रकाश रांका एवं महिला मंडल अध्यक्ष चंचल भंडारी द्वारा वाचन किया गया। सभा अध्यक्ष महेंद्र वेदमुथा, फतेहचंद ओस्तवाल एवं इंद्रा कोठारी ने अपने विचार रखे। दोनों ओस्तवाल परिवार की बहनों ने गीत प्रस्तुत किए। तेरापंथ सभा की ओर से तपस्वियों का अभिनंदन पत्र एवं साहित्य द्वारा सम्मान किया गया।