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मासखमण प्रत्याख्यान समारोह
तेरापंथ भवन में मुनि दीपकुमार जी के सान्निध्य में निर्मल रांका के 28 दिन के मासखमण तप का प्रत्याख्यान समारोह सम्पन्न हुआ। मुनि दीपकुमार जी ने अपने प्रवचन में कहा कि प्रबल मनोबल वाले ही मासखमण जैसी कठोर तपस्या कर सकते हैं। निर्मल रांका ने यह तप कर असाधारण मनोबल का परिचय दिया है। तप मंगलकारी है, क्योंकि यह शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा—चारों को शुद्ध व पवित्र करता है। तप शरीर के रोगों का निवारण करता है और जैन शासन की प्रभावना का महान हेतु है। निर्मल जी ने मासखमण तप कर एक अद्भुत चमत्कार प्रस्तुत किया है। गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी की कृपा से यह तपस्या पूर्ण हुई है। उनके शासनकाल में चारों ओर तप की ज्योति प्रज्वलित हो रही है।
मुनिश्री ने तपस्वी के सम्मान में स्वरचित गीत का संगान किया। संचालन करते हुए मुनि काव्यकुमार जी ने कहा कि तपस्या आत्मा की शुद्धि का माध्यम है। निर्मल रांका ने यह तप कर संकल्प-बल की मजबूती का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। इस अवसर पर तेरापंथ सभा और तेरापंथ महिला मंडल, पल्लावरम की ओर से तपस्वी को मासखमण तप अभिनंदन-पत्र द्वारा सम्मानित किया गया। तेरापंथ सभा अध्यक्ष दिलीप भंसाली, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा लता गिरिया, परिवार की ओर से राकेश रांका, संगीता रांका, नमन रांका, पवन मेहता, विभा बम्बबोली, तितिक्षा आदि ने भावपूर्ण विचार एवं गीत प्रस्तुत किए। तेरापंथ महिला मंडल ने सामूहिक गीत का संगान किया, वहीं तेरापंथ कन्या मंडल की कन्याओं ने नाटक की प्रस्तुति देकर कार्यक्रम को और भी रोचक बनाया।
विवेक पितलिया ने साध्वीप्रमुखा जी के संदेश वाचन किया। तेयुप सहमंत्री श्रीकांत चौरड़िया ने भी अपने विचार व्यक्त किए।