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जहां मृदुता, वहां कटुता नहीं
जयपुर। जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के निर्वाण दिवस पर भिक्षु साधना केंद्र, श्याम नगर में मुनि तत्त्व रुचि जी "तरुण" के सान्निध्य में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें तीर्थंकर भगवान की स्तुति एवं तीर्थंकर की वाणी का उच्चारण करते हुए मुनिश्री ने कहा - अहिंसा, मैत्री और करुणा मानवता के शाश्वत तत्त्व हैं। इन तत्त्वों से वैश्विक समस्याओं का समाधान और विश्व शांति संभव है। मुनिश्री ने आगे कहा - आवेश और अहंकार, वैयक्तिक एवं वैश्विक समस्याओं को सुलझाने में बाधक हैं। जीवन में मार्दव, मृदुता और कोमलता का विकास कर इस बाधा को दूर किया जा सकता है। यह वास्तविकता है कि जहां मृदुता होती है, वहां कटुता टिक नहीं सकती। मुनि संभव कुमार जी ने कहा - आवेश-आवेग, कलह-कदाग्रह, दुराग्रह और तकरार आदि का आधार अहंकार है।