शक्तिशाली और मंत्रगर्भित है भक्तामर

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बीकानेर।

शक्तिशाली और मंत्रगर्भित है भक्तामर

तेरापंथ भवन में विराजित 'शासनश्री' द्वय साध्वी मंजूप्रभा जी एवं साध्वी कुंथुश्रीजी के सान्निध्य में भक्तामर का अनुष्ठान उल्लासपूर्वक आयोजित किया गया। साध्वी कुंथुश्री जी ने सभा को भक्तामर के महत्व के बारे में बताते हुए फरमाया कि भक्तामर स्तोत्र जैन परंपरा में सर्वमान्य स्रोत है। श्वेतांबर और दिगंबर दोनों ही इसे श्रद्धा से स्तुत करते हैं। जीवन में अनेक परिस्थितियां आती हैं, किंतु व्यक्ति को चाहिए कि वह उनसे प्रभावित न हो। संसार में अनेक बाधाएं और समस्याएं हैं, जिनका सामना करने के लिए मनोबल की आवश्यकता होती है। ऐसा कोई व्यक्ति नहीं, जिसके जीवन में समस्या न आए। उनका सामना करने के लिए आलंबन चाहिए, और सबसे बड़ा आलंबन है आचार्य मानतुंग द्वारा रचित भक्तामर स्तोत्र। यह शक्तिशाली और मंत्रगर्भित है, जिससे सभी कार्य सिद्ध हो सकते हैं। इसका प्रतिदिन पाठ करने वाला उल्लास, सुख, शांति और समाधि की अनुभूति कर सकता है। इस स्रोत में भक्ति की शक्ति, आदिनाथ के प्रति अनुरक्ति और भीतर की ओर गति करने की ऊर्जा निहित है। साध्वीश्री ने ऐतिहासिक प्रसंगों में जिनदत्त सूरी आदि की घटनाओं पर प्रकाश डाला, जिससे भक्तामर की महिमा से लोग चित्ताकर्षित हो उठे। साध्वी गुरुयशाजी, साध्वी सुमंगलाश्री जी, साध्वी संबोधयशा जी आदि ने अनेक मंत्रों का उच्चारण किया और सामूहिक स्वर में सभी ने अपनी सहभागिता दर्ज करवाई। कार्यक्रम में उपस्थित जनों की संख्या उल्लेखनीय रही। साध्वी वृंद ने ‘ऋषभाय नमः’ गीत से मंगलाचरण किया।